महाराष्ट्र की राजनीति में हाल के दिनों में तनाव और उठा-पटक का माहौल बना हुआ है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में बयान दिया कि "मुझे हल्के में मत लेना," जो राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों बहुत हलचल मच रही है और कई राजनीतिक समीक्षक यह मान रहे हैं कि आने वाले समय में एक बड़ा भूचाल आ सकता है। एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच रिश्तों में खटास की अटकलें इन दिनों सुर्खियां बन चुकी हैं। एकनाथ शिंदे का बयान, जिसमें उन्होंने अपने आलोचकों को चेतावनी दी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए, इस बात का संकेत देता है कि उनका गुस्सा और असंतोष बढ़ता जा रहा हैं।
शिंदे ने यह भी कहा कि 2022 में जब उन्हें हल्के में लिया गया था, तो उन्होंने उद्धव ठाकरे की महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार को गिरा दिया था। शिंदे और उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने सत्ता संघर्ष के दौरान अपनी ताकत और रणनीति का सही इस्तेमाल किया, और उन्होंने इस बार भी सरकार को गिराने की चेतावनी दी हैं।
'मुझे हल्के में मत लेना'- एकनाथ शिंदे
एकनाथ शिंदे की यह टिप्पणी फडणवीस द्वारा जालना में 900 करोड़ रुपये की परियोजना को रोके जाने के बाद आई है, जिसे शिंदे के मुख्यमंत्री रहने के दौरान मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना की वैधता और शिंदे की मंजूरी के पीछे की मंशा पर सवाल उठने के बाद जांच के आदेश भी दिए गए हैं। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए शिंदे ने पत्रकारों से कहा, “मैं एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता हूं, लेकिन मैं बाला साहेब का भी फॉलोवर हूं। यह बात सभी को समझनी चाहिए। जब 2022 में मुझे हल्के में लिया गया, तो मैंने मौजूदा सरकार को पलट दिया।”
शिंदे ने आगे कहा, “विधानसभा में अपने पहले भाषण में मैंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस जी को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी और मिलीं भी। इसलिए मेरी बात को हल्के में न लें। जिन लोगों के लिए यह कहा गया है, वे इसे समझेंगे।” शिंदे का यह बयान स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि वह अपने प्रभाव और राजनीतिक शक्ति को लेकर पूरी तरह आत्मविश्वासी हैं, और फडणवीस के खिलाफ कोई भी हल्का-फुल्का रवैया नहीं बर्दाश्त करेंगे।