कजरी तीज 2025 का व्रत 12 अगस्त को रखा जाएगा। यह व्रत सुहागिन और अविवाहित महिलाओं के लिए विशेष है। जानें इसके नियम, पूजा विधि, आहार और लाभ।
Kajari Teej 2025: कजरी तीज का व्रत सुहागिन और अविवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है और इस वर्ष 12 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए और इसके लाभ क्या हैं, यहां विस्तार से जानिए।
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इसे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। अविवाहित कन्याएं भी यह व्रत अच्छे और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और इसे ‘बड़ी तीज’ या ‘सत्तू तीज’ के नाम से भी जाना जाता है।
कजरी तीज 2025 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन विशेष रूप से शिव-पार्वती की पूजा का विधान है। व्रत का पालन करने वाले पूरे दिन नियमों का पालन करते हैं और रात में चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलते हैं।
कजरी तीज व्रत की मुख्य विधि और नियम
1. निर्जला व्रत का पालन- कजरी तीज का व्रत आमतौर पर निर्जला रखा जाता है। इसका मतलब है कि व्रती पूरे दिन जल और भोजन का सेवन नहीं करते। व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक चलता है, हालांकि ज्यादातर महिलाएं इसे चंद्र दर्शन के बाद खोल देती हैं।
2. सरगी का सेवन- व्रत शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले ‘सरगी’ खाई जाती है। इसमें मौसमी फल, मिठाई, सूखे मेवे, दूध या दही शामिल होते हैं। सरगी से दिनभर ऊर्जा बनी रहती है और निर्जला व्रत करने में सहूलियत होती है।
3. पूजा की विधि- शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। पूजा में दीपक, धूप, फूल, फल, मिठाई और सत्तू का अर्पण किया जाता है। कथा सुनना और सुनाना भी इस व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
4. चंद्रमा को अर्घ्य- रात में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद ही व्रत तोड़ा जाता है। अर्घ्य देने के लिए जल में फूल, चावल और दूध मिलाकर चढ़ाया जाता है।
व्रत में क्या खाएं
व्रत तोड़ने के बाद भोजन हल्का और सुपाच्य होना चाहिए। इससे शरीर को ऊर्जा तो मिलेगी लेकिन पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा।
- मौसमी फल जैसे सेब, केला, पपीता, अनार
- दही या छाछ
- बेसन या मेवे से बनी मिठाइयां
- सत्तू का शर्बत, जिसे पानी और गुड़ के साथ मिलाकर पिया जा सकता है
व्रत में क्या न खाएं
कजरी तीज का व्रत पवित्रता और सात्विकता का प्रतीक है। इसलिए व्रत के बाद भी कुछ चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- तले-भुने और ज्यादा तेल-मसाले वाले भोजन
- मांसाहार
- प्याज और लहसुन
- अत्यधिक मसालेदार भोजन
कजरी तीज व्रत के लाभ
1. दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि
इस व्रत को रखने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
2. मनचाहा वर प्राप्ति
अविवाहित कन्याओं के लिए यह व्रत योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति में सहायक माना जाता है।
3. मानसिक और आध्यात्मिक शांति
पूरे दिन ध्यान और पूजा में समय बिताने से मन शांत होता है और आत्मिक ऊर्जा बढ़ती है।
4. पारिवारिक एकता
व्रत का पालन करने से परिवार में एकजुटता और प्रेम का वातावरण बनता है।
धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, कजरी तीज का संबंध माता पार्वती के तप से जुड़ा है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। उनकी अटूट श्रद्धा और व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसी घटना की स्मृति में कजरी तीज का व्रत रखा जाता है।
व्रत करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
व्रत से पहले पर्याप्त नींद लें और मानसिक रूप से तैयार रहें
- सरगी में पौष्टिक चीजें शामिल करें
- पूजा के समय मन को एकाग्र रखें और जल्दबाजी न करें
- व्रत के बाद भोजन धीरे-धीरे और कम मात्रा में करें
- पूरे दिन सकारात्मक विचार और शांत व्यवहार बनाए रखें