शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन उनके भयंकर स्वरूप की आराधना की जाती है, जो नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है और भक्तों को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। पूजा विधि, मंत्र, प्रिय भोग और शुभ रंग के माध्यम से भक्त घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं।
Shardiya Navratri: मां कालरात्रि की पूजा: शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन भारत में मां कालरात्रि की पूजा विशेष श्रद्धा के साथ की जाती है। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर प्रतिमा या चित्र की पूजा करते हैं। मंत्रों का जाप, गुड़ और चने का भोग अर्पित करना तथा नीला या ग्रे रंग के वस्त्र का प्रयोग शुभ माना जाता है। इस पूजा का उद्देश्य नकारात्मक शक्तियों का नाश करना और भक्तों को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करना है। धार्मिक विद्वानों और तांत्रिकों के अनुसार, यह पूजा व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाती है।
मां कालरात्रि का महत्व
मां कालरात्रि को नवरात्रि का सातवां रूप माना जाता है। उनके स्वरूप का संबंध साहस, शक्ति और आत्मविश्वास से है। भक्तों के अनुसार, इस दिन उनकी आराधना करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है। यह स्वरूप विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
तांत्रिक विद्वानों का कहना है कि मां कालरात्रि की पूजा से घर और आसपास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। उनका यह रूप बुरी शक्तियों और भय का नाश करता है, जिससे व्यक्ति मनोवैज्ञानिक रूप से भी मजबूत बनता है। इसलिए नवरात्रि के सातवें दिन यह पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
कैसे करें मां कालरात्रि की आराधना
मां कालरात्रि की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना आवश्यक है। प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। पूजा के दौरान मां को रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, धूप और दीप अर्पित करना चाहिए। इसके बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा सकता है।
पूजा करते समय मंत्र का जाप करना बेहद लाभकारी होता है। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
ॐ कालरात्रि देव्ये नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नमः
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
मंत्र जाप से मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। यह भक्त के मन और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने का काम करता है।
मां कालरात्रि का प्रिय भोग और शुभ रंग
मां कालरात्रि को गुड़ और चने का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा शहद का भोग भी अर्पित किया जा सकता है। गुड़ और चने का भोग विशेष रूप से शोक और कष्ट को दूर करने के लिए लाभकारी माना जाता है।
मां कालरात्रि का शुभ रंग नीला या ग्रे है, लेकिन उन्हें लाल रंग के वस्त्र अर्पित करना भी लाभकारी माना जाता है। पूजा के समय उचित रंग का उपयोग करने से आराधना का प्रभाव बढ़ता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पूजा से मिलने वाले लाभ
मां कालरात्रि की पूजा से भक्तों को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है। उनका यह स्वरूप भूत, प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। पूजा के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विशेष रूप से जिन लोगों का जीवन कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा हो, उनके लिए मां कालरात्रि की आराधना अत्यंत लाभकारी होती है। पूजा से न केवल नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार भी होता है।
तांत्रिक दृष्टिकोण
तांत्रिक आचार्य लक्ष्मण चौबे के अनुसार, कालरात्रि की आराधना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और कार्य की बाधाएं स्वतः दूर हो जाती हैं। उनका यह स्वरूप भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
विद्वानों का कहना है कि यह पूजा केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसका पालन करने से परिवार और आसपास का वातावरण भी शुभ और सुरक्षित रहता है।