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'भारत-रूस साझेदारी मजबूत, अमेरिकी दबाव बेअसर', सर्गेई लावरोव का बड़ा बयान

'भारत-रूस साझेदारी मजबूत, अमेरिकी दबाव बेअसर', सर्गेई लावरोव का बड़ा बयान

यूएनजीए में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का असर भारत-रूस संबंधों पर नहीं होगा। दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन भारत दौरे पर आ सकते हैं। एस जयशंकर की भी तारीफ की।

UNGA: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत और रूस के रिश्तों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ या प्रतिबंधों का भारत-रूस संबंधों पर कोई असर नहीं होगा। इस दौरान उन्होंने यह भी पुष्टि की कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत तक भारत की यात्रा कर सकते हैं।

लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार, रक्षा, तकनीकी सहयोग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), स्वास्थ्य और मानवीय मामलों समेत कई अहम क्षेत्रों पर बातचीत चल रही है।

पुतिन के भारत दौरे की पुष्टि

रूस के विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि दिसंबर 2025 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नई दिल्ली का दौरा करेंगे। इस यात्रा की तैयारियां दोनों देशों के बीच चल रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के पास एक व्यापक द्विपक्षीय एजेंडा है, जिस पर काम जारी है। इसमें व्यापार से लेकर सैन्य और तकनीकी सहयोग तक कई अहम मुद्दे शामिल हैं।

लावरोव ने यह भी बताया कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर जल्द ही रूस का दौरा करेंगे, जबकि वह स्वयं भारत आने वाले हैं। उनके अनुसार, भारत और रूस के बीच लगातार उच्चस्तरीय संवाद और आदान-प्रदान होते रहते हैं, जो दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत बनाता है।

भारत-रूस रिश्तों की मजबूती

अपने संबोधन में लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच लंबे समय से गहरे संबंध हैं। यह रिश्ता केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि रणनीतिक और तकनीकी सहयोग में भी मजबूत नींव पर खड़ा है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच AI, वित्तीय सहयोग और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी काम हो रहा है।

रूस के विदेश मंत्री ने यह भी माना कि भारत एक स्वतंत्र नीति अपनाता है और वैश्विक दबाव के बावजूद अपने फैसले स्वयं लेता है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि भारत और रूस का रिश्ता बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होता।

एस जयशंकर की तारीफ

सर्गेई लावरोव ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति आत्मसम्मान और संतुलन पर आधारित है। इस संदर्भ में उन्होंने भारत की तुलना तुर्किए से की, जहां भी इसी तरह का आत्मसम्मान झलकता है।

लावरोव ने याद दिलाया कि भारत ने हमेशा अपने हितों के आधार पर फैसले लिए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर अमेरिका भारत को तेल बेचना चाहता है, तो भारत अपनी शर्तों पर सौदा करेगा। वहीं, अगर भारत किसी और देश से तेल खरीदना चाहता है, तो यह उसका आंतरिक मामला है और इसमें बाहरी हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है।

अमेरिकी टैरिफ पर रूस का जवाब

संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जब उनसे पूछा गया कि अमेरिकी प्रतिबंधों का भारत-रूस आर्थिक साझेदारी पर क्या असर होगा, तो लावरोव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी तरह का खतरा नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही साफ कर चुके हैं कि भारत अपने साझेदार खुद चुनता है और किसी तीसरे देश के दबाव को महत्व नहीं देता।

ऊर्जा सहयोग पर जोर

भारत और रूस के बीच ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत सहयोग रहा है। रूस से कच्चे तेल का आयात भारत के लिए बेहद अहम है। पश्चिमी देशों के दबाव और अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा है। लावरोव ने कहा कि यह साझेदारी दोनों देशों के लिए फायदेमंद है और इसमें किसी तरह का व्यवधान नहीं आने वाला।

व्यापक सहयोग का एजेंडा

लावरोव ने अपने संबोधन में भारत-रूस सहयोग के कई क्षेत्रों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में दोनों देश AI, स्वास्थ्य सेवाएं, मानवीय सहयोग और वित्तीय साझेदारी में नई ऊंचाइयां छू सकते हैं। साथ ही रक्षा और तकनीकी सहयोग को और मजबूत करने की भी योजनाएं हैं।

भारत की स्वतंत्र विदेश नीति

लावरोव ने कहा कि भारत की विदेश नीति वैश्विक स्तर पर एक मिसाल है। भारत ने हमेशा अपनी संप्रभुता और हितों के आधार पर नीतियां बनाई हैं। यही वजह है कि अमेरिका या किसी और देश के दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को बरकरार रखा है।

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