Columbus

रूस ने यूरोप में हवाई क्षेत्र का किया उल्लंघन, जानिए NATO की क्या रही प्रतिक्रिया

रूस ने यूरोप में हवाई क्षेत्र का किया उल्लंघन, जानिए NATO की क्या रही प्रतिक्रिया

रूस ने NATO के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की, पोलैंड और एस्टोनिया में तनाव बढ़ा। यूरोप में सुरक्षा अस्थिर, NATO की प्रतिक्रिया सीमित। विशेषज्ञ पुतिन की रणनीतिक उकसावेबाजी मान रहे हैं।

World Update: यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के बीच, हाल ही में रूस ने NATO के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की घटनाएँ बढ़ा दी हैं। 10 सितंबर को पोलैंड में रूसी ड्रोन घुस आए, जो NATO का हिस्सा है। इस घुसपैठ को लेकर पोलैंड ने सख्त रुख अपनाया और चेतावनी दी कि किसी भी उड़ने वाली वस्तु को मार गिराने के लिए तैयार हैं।

कुछ ही दिनों बाद, रोमानिया में भी ऐसी ही घटनाएँ सामने आईं। इसके बाद 19 सितंबर को तीन रूसी लड़ाकू विमानों ने एस्टोनिया की हवाई सीमा का उल्लंघन किया। रूस के इन हमलों ने यूरोप के हवाई क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है।

NATO की प्रतिक्रिया

NATO की प्रतिक्रिया अब तक धीमी रही है। पोलैंड में ड्रोन घुसपैठ के बाद शुरू किए गए ‘ईस्टर्न सेंट्री’ ऑपरेशन का प्रभाव सीमित रहा है। इसके बावजूद एस्टोनिया में रूस की घुसपैठ जारी रही। पोलैंड और जर्मनी के पास तटस्थ हवाई क्षेत्र में भी बिना घोषणा उड़ानें दर्ज की गईं।

पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने स्पष्ट चेतावनी दी कि कोई भी सीमा उल्लंघन करने वाला उड़ने वाला उपकरण निशाना बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कदम उठाने से पहले दो बार सोचने की आवश्यकता है, क्योंकि यह संघर्ष को और अधिक तीव्र कर सकता है।

अमेरिका और ट्रंप की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया सीमित रही। उन्होंने पोलैंड में ड्रोन घुसपैठ को संभावित गलती करार देते हुए NATO सहयोगियों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह प्रतिक्रिया रूस को स्पष्ट संदेश नहीं देती।

अमेरिका की प्राथमिकताएँ भी बदल रही हैं। यूरोपीय देशों को हथियारों की आपूर्ति घटाई गई है और अब अमेरिका अपनी घरेलू आवश्यकताओं पर केंद्रित है। बाल्टिक देशों के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा सहयोग कार्यक्रम ‘बाल्टिक सिक्योरिटी इनिशिएटिव’ भी बजट कटौती के चलते संकट में है।

यूरोप की सुरक्षा पर अमेरिका की प्राथमिकता कम होती दिख रही है। वहीं, फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, इटली और नीदरलैंड का संयुक्त रक्षा बजट अमेरिका के वार्षिक रक्षा खर्च का केवल एक चौथाई है। इसके अलावा, यूरोपीय रक्षा-उद्योग आधार भी कमजोर है।

रूस को लगातार झटके 

हालांकि रूस ने हाल के ग्रीष्मकालीन हमलों में भारी संख्या में सैनिक खोए हैं। अनुमान है कि रूसी सैन्य हताहतों की संख्या लगभग 2.2 लाख तक पहुंच चुकी है। बावजूद इसके क्षेत्रीय लाभ बहुत सीमित रहे हैं।

फरवरी 2022 से शुरू हुए पूर्ण पैमाने के युद्ध में रूस ने लगभग 70,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा किया था। लेकिन हालिया गर्मी अभियान में यह बढ़त केवल 2,000 वर्ग किलोमीटर से भी कम रही। एक सितंबर 2022 को रूस यूक्रेन के लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र पर नियंत्रण कर चुका था, जो अब 2025 में घटकर 19 प्रतिशत रह गया है।

यूक्रेन की स्थिति 

रूस की स्थिति भले ही बेहतर नहीं है, लेकिन यूक्रेन के लिए यह पूरी तरह राहत की बात नहीं है। मास्को रात में हमले करने की क्षमता बनाए हुए है। इससे यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणाली की कमियाँ उजागर होती हैं और महत्वपूर्ण ढांचे को नुकसान का खतरा बना रहता है।

यूक्रेन अब भी सीमित संसाधनों और पश्चिमी सहयोग के साथ रूस का मुकाबला कर रहा है। लेकिन भविष्य में बढ़ती रूसी आक्रामकता के लिए केवल इच्छाशक्ति पर्याप्त नहीं होगी। पश्चिमी देशों को अपनी तैयारियों में तत्काल सुधार करना होगा।

यूरोप में सहयोग

‘सिक्योरिटी एक्शन फॉर यूरोप’ कार्यक्रम में ब्रिटेन और कनाडा जैसे गैर-ईयू देशों की भागीदारी को लेकर असहमति बनी हुई है। इसके अलावा, फ्रांस और जर्मनी के बीच मतभेदों के चलते ‘फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम’ जैसी प्रमुख रक्षा परियोजनाएँ प्रभावित हुई हैं।

Leave a comment