हंगरी ने ट्रंप की नाटो अपील को नजरअंदाज करते हुए रूस से तेल खरीद जारी रखने का फैसला किया। देश ने ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दी। पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में हंगरी की स्थिति से विवाद बढ़ा।
World Update: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में नाटो देशों से आग्रह किया था कि वे रूस से तेल की खरीद बंद कर दें। लेकिन इस आह्वान को नजरअंदाज करते हुए हंगरी ने साफ कर दिया है कि वे रूस से तेल लेना बंद नहीं करेंगे। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो ने कहा कि देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से तेल और गैस की आपूर्ति जरूरी है और वर्तमान भौतिक बुनियादी ढांचे के बिना अन्य स्रोतों से यह संभव नहीं है।
रूस से तेल पर निर्भरता को लेकर हंगरी की स्थिति
हंगरी के विदेश मंत्री सिज्जार्टो ने इंटरव्यू में कहा कि ऊर्जा आपूर्ति उनके लिए केवल एक भौतिक प्रश्न है। उन्होंने बताया कि रूस के अलावा अन्य देशों से तेल और गैस खरीदने का सपना तो अच्छा हो सकता है, लेकिन हंगरी केवल उन्हीं स्रोतों पर निर्भर है जहां बुनियादी ढांचा मौजूद है। अगर रूस से तेल की आपूर्ति बंद हो जाए, तो देश की ऊर्जा सुरक्षा को खतरा होगा। सिज्जार्टो ने यह भी कहा कि वे ट्रंप की बात को समझते हैं, लेकिन हंगरी की प्राथमिकता अपने नागरिकों और उद्योगों को ऊर्जा उपलब्ध कराना है।
ट्रंप की नाटो सहयोगियों से मांग
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर कहा कि वे रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं, जब सभी नाटो देश सहमत हों और रूस से तेल खरीदना बंद कर दें। उनका कहना था कि नाटो के सदस्य देशों को रूस पर दबाव बनाना चाहिए ताकि यूक्रेन युद्ध जल्दी समाप्त हो सके। हालांकि कई नाटो देशों ने इस मांग पर सवाल उठाए हैं और हंगरी ने इसे चुनौती के रूप में लिया है।
हंगरी और यूरोप में अलग-अलग प्रतिक्रिया
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान, जो यूरोप में ट्रंप के करीबी वैचारिक सहयोगियों में शामिल हैं, ने रूस के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखते हुए यूक्रेन की आलोचना भी की है। उन्होंने अपने देश की ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए साफ कहा कि हंगरी रूस से तेल लेना जारी रखेगा। वहीं, यूरोपीय संघ रूस से तेल की आपूर्ति कम या रोकने के लिए व्यापार प्रतिबंधों पर विचार कर रहा है, लेकिन इसके लिए आम सहमति जरूरी है।
नाटो देशों के नेताओं की प्रतिक्रिया
ट्रंप के सहयोगी लिंडसे ग्राहम ने कहा कि रूस के तेल पर निर्भरता अब हंगरी और स्लोवाकिया पर केंद्रित है। उन्होंने चेताया कि अगर यह सहयोग नहीं हुआ तो इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसके विपरीत, फ़िनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब ने ट्रंप के दावे को दो पहलुओं से देखा। उन्होंने कहा कि यूरोप को रूस के तेल और गैस से अलग होना चाहिए, और हंगरी और स्लोवाकिया पर दबाव बनाना आवश्यक है।
पश्चिमी यूरोप और अमेरिका के बीच तनाव
हंगरी ने पश्चिमी यूरोपीय अधिकारियों को "कट्टरपंथी" कहा है और कहा कि तथ्य-आधारित, तर्कसंगत बातचीत करना मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद अमेरिका के साथ हंगरी के संबंध में सुधार हुआ है। सिज्जार्टो ने बताया कि हंगरी अमेरिका को अपना मित्र मानता है और ट्रंप की जीत का समर्थन करता है, लेकिन यूरोपीय संघ के दबाव में आकर अपने ऊर्जा सुरक्षा निर्णय नहीं बदल सकता।