हर साल 23 सितंबर को मनाए जाने वाले आयुर्वेद दिवस के अवसर पर महिलाओं के हार्मोनल बैलेंस और स्वास्थ्य सुधार के लिए आयुर्वेदिक उपायों पर जोर दिया गया है। अश्वगंधा, शतावरी, योग, प्राणायाम, अभ्यंग, हर्बल आहार और पर्याप्त नींद जैसी विधियों से हार्मोन संतुलित होता है और जीवनशैली में सुधार आता है।
Ayurveda Day 2025: आयुर्वेद दिवस के अवसर पर विशेषज्ञों ने महिलाओं के स्वास्थ्य और हार्मोनल संतुलन के लिए आयुर्वेदिक उपायों की जानकारी दी। अश्वगंधा तनाव कम करती है, शतावरी प्रजनन हार्मोन को संतुलित करती है, जबकि योग, प्राणायाम और अभ्यंग से तंत्रिका तंत्र और ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है। आयुर्वेदिक आहार, हर्बल चाय और पर्याप्त नींद से हार्मोनल असंतुलन में सुधार आता है और जीवनशैली बेहतर होती है।
शतावरी से रिप्रोडक्टिव हेल्थ मजबूत करें
शतावरी महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद जड़ी-बूटी है। यह एस्ट्रोजन हार्मोन को संतुलित करने में मदद करती है। अनियमित पीरियड्स, पीएमएस और मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए शतावरी का सेवन किया जाता है। आयुर्वेद में इसे रिप्रोडक्टिव सिस्टम को मजबूत करने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है।
योग और प्राणायाम से हार्मोन संतुलित करें
योग और प्राणायाम महिलाओं के हार्मोनल बैलेंस के लिए महत्वपूर्ण हैं। भुजंगासन जैसे योग आसन और अनुलोम विलोम जैसी सांस की तकनीक तंत्रिका तंत्र को शांत करती हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हार्मोनल असंतुलन दूर होता है। रोजाना 20-30 मिनट योग करने से मानसिक स्वास्थ्य भी मजबूत रहता है।
अभ्यंग: तेल से मालिश
आयुर्वेद में अभ्यंग एक प्रभावशाली प्रक्रिया है। इसमें गर्म तिल या नारियल के तेल से शरीर की मालिश की जाती है। सिर से लेकर तलवों तक तेल की मालिश तनाव कम करती है और प्रजनन प्रणाली को पोषण देती है। यह महिलाओं के हार्मोन को संतुलित रखने में मददगार है।
अश्वगंधा से तनाव कम करें
अश्वगंधा एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। यह कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करती है और थायरॉइड तथा एड्रेनल ग्रंथियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है। नियमित उपयोग से तनाव कम होता है और प्रजनन हार्मोन संतुलित रहते हैं। महिलाओं के लिए यह तनाव और हार्मोनल असंतुलन से निपटने का एक असरदार उपाय है।
आयुर्वेदिक आहार का महत्व
आयुर्वेद में आहार का महत्वपूर्ण स्थान है। महिलाओं को साबुत अनाज, मौसमी सब्जियां, ताजा फल, घी और हर्बल टी का सेवन करना चाहिए। इनसे त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ संतुलित रहते हैं। प्रोसेस्ड फूड और अधिक तेलीय भोजन से बचना चाहिए। संतुलित आहार से हार्मोनल असंतुलन में सुधार होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।
दालचीनी और सौंफ वाली हर्बल चाय
दालचीनी और सौंफ की चाय हार्मोनल बैलेंस के लिए फायदेमंद है। दालचीनी इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाती है और सौंफ पाचन में मदद करती है। यह मिश्रण पीरियड्स में होने वाले दर्द को कम करता है और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
आयुर्वेद से महिलाओं का जीवन बेहतर
आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर महिलाएं अपने जीवनशैली और स्वास्थ्य में सुधार ला सकती हैं। जड़ी-बूटियों, योग, प्राणायाम और संतुलित आहार के साथ पर्याप्त नींद लेने से हार्मोनल असंतुलन दूर होता है। आयुर्वेद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधारता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सशक्त बनाता है।
आयुर्वेद महिलाओं के जीवन में प्राकृतिक और प्रभावशाली बदलाव लाने की क्षमता रखता है। हार्मोन बैलेंस बनाए रखने के लिए इसे जीवन का हिस्सा बनाना लाभकारी सिद्ध होता है। नियमित अभ्यास और संतुलित जीवनशैली से स्वास्थ्य मजबूत होता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है।