रूस 2030 तक दुनिया की पहली बंद ईंधन चक्र वाली परमाणु ऊर्जा प्रणाली शुरू करेगा। इसमें इस्तेमाल हुए ईंधन का पुनः उपयोग होगा, रेडियोधर्मी कचरे में कमी आएगी और ऊर्जा उत्पादन अधिक टिकाऊ व सुरक्षित होगा।
Russia: रूस ने 2030 तक दुनिया की पहली बंद ईंधन चक्र (Closed Fuel Cycle) वाली परमाणु ऊर्जा प्रणाली शुरू करने का बड़ा एलान किया है। इस प्रणाली के माध्यम से इस्तेमाल हुए ईंधन का कई बार उपयोग किया जा सकेगा, जिससे यूरेनियम की जरूरत कम होगी और रेडियोधर्मी कचरे की समस्या भी घटेगी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह घोषणा मॉस्को में आयोजित वर्ल्ड एटॉमिक वीक के अंतरराष्ट्रीय मंच पर की। इस मंच पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी सहित कई देशों के नेता भी मौजूद थे।
पुतिन ने बताया योजना का विस्तार
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, ‘‘2030 की शुरुआत में, हम रूस के टॉम्स्क क्षेत्र में बंद ईंधन चक्र वाली दुनिया की पहली परमाणु ऊर्जा प्रणाली शुरू करने की योजना बना रहे हैं।’’ उन्होंने बताया कि इसमें खर्च किए गए ईंधन का लगभग 95 प्रतिशत यानी अधिकांश मात्रा को रिएक्टर में कई बार इस्तेमाल किया जा सकेगा। पुतिन ने इसे रूसी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक क्रांतिकारी उपलब्धि बताया।
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रणाली से रेडियोधर्मी कचरे की समस्या लगभग खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही यूरेनियम की आपूर्ति पर दबाव कम होगा और वैश्विक ऊर्जा संकट में योगदान मिलेगा। पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों को इस परियोजना में सहयोग करने का भी आमंत्रण दिया।
रेडियोधर्मी कचरे की समस्या का समाधान
पुतिन ने बताया कि पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में इस्तेमाल हुआ ईंधन केवल एक बार इस्तेमाल किया जाता है, जिससे भारी मात्रा में रेडियोधर्मी कचरा उत्पन्न होता है। लेकिन इस नई प्रणाली में इस्तेमाल हुए ईंधन का पुनः उपयोग किया जा सकेगा। इससे न केवल पर्यावरणीय सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि परमाणु ऊर्जा का उत्पादन अधिक सुरक्षित और आर्थिक रूप से टिकाऊ होगा।
उन्होंने कहा कि यह प्रणाली परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नई सोच और नवाचार को दर्शाती है। रूस की यह पहल वैश्विक स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
वित्तीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर
राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण और संचालन के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं में मुख्य प्रतिभागियों, निवेशकों और उपभोक्ताओं के बीच जोखिम और लाभों का संतुलन होना चाहिए। पुतिन ने बताया कि इस वर्ष की शुरुआत में ब्रिक्स देशों द्वारा गठित न्यू डेवलपमेंट बैंक ने परमाणु परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की है।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले वर्ष के अंत में रूस की पहल पर ब्रिक्स देशों ने परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के समन्वय के लिए एक विशेष मंच भी बनाया था। इस पहल का उद्देश्य देशों के बीच तकनीकी सहयोग और निवेश को बढ़ावा देना है।
तकनीकी क्रांति और वैश्विक प्रभाव
पुतिन ने कहा कि इस नई प्रणाली से तकनीकी क्रांति आएगी और परमाणु ऊर्जा का उत्पादन अधिक टिकाऊ और सुरक्षित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रणाली में अत्याधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे वैश्विक ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरणीय सुरक्षा के मानक बढ़ेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक और विज्ञानिक इस परियोजना में भाग लें, ताकि वैश्विक स्तर पर इसका प्रभाव व्यापक और सकारात्मक हो।’’ पुतिन ने यह भी बताया कि रूस इस परियोजना में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और विकास बैंकों को शामिल करके निवेश और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
ऊर्जा उत्पादन में स्थिरता
पुतिन ने जोर दिया कि बंद ईंधन चक्र प्रणाली न केवल ऊर्जा की निरंतरता सुनिश्चित करेगी बल्कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में लागत और संसाधनों की बचत भी करेगी। उन्होंने बताया कि इस प्रणाली से यूरेनियम की आवश्यकता कम होगी, जिससे खनिज संसाधनों पर दबाव घटेगा और ऊर्जा उत्पादन अधिक टिकाऊ होगा। इसके अलावा, इस परियोजना के माध्यम से रेडियोधर्मी कचरे की मात्रा में भारी कमी आएगी, जो पर्यावरणीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।