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महाअष्टमी 2025: जाने मां महागौरी की पूजा विधि और मंत्र

महाअष्टमी 2025: जाने मां महागौरी की पूजा विधि और मंत्र

महा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा शारदीय नवरात्रि का अहम हिस्सा है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इस दिन की गई आराधना जीवन के सभी पापों को धुल देती है और भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि, शांति व सकारात्मक ऊर्जा लाती है। पूजा में मंत्र, भोग और कन्या पूजन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
 
Mahagauri Puja: शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन यानी महाअष्टमी पर मां महागौरी की पूजा की जाती है। यह पूजा घर और मंदिर दोनों स्थानों पर श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। नवरात्रि के पहले सात दिन मां के विभिन्न स्वरूपों की उपासना के बाद इस दिन विशेष मंत्रों के जाप, भोग अर्पित करना और कन्या पूजन किया जाता है। इस धार्मिक प्रथा का उद्देश्य जीवन के सभी पापों का नाश करना, सकारात्मक ऊर्जा लाना और घर में सुख-समृद्धि बनाए रखना है। भक्त माता महागौरी से स्वास्थ्य, धन और मोक्ष की कामना करते हैं।
 
मां महागौरी की आराधना का महत्व
 
शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन, महाअष्टमी, मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन की गई पूजा और मंत्रों का पाठ जीवन के सभी पापों को धुलने में मदद करता है और भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। नवरात्रि के पहले सात दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना के बाद महा अष्टमी को महागौरी माता की विशेष आराधना होती है।
 
महागौरी माता
 
महागौरी शब्द का अर्थ “अत्यंत उज्ज्वल और स्वच्छ है। माता महागौरी को सफेद वस्त्र, चंद्रमा के समान उज्जवल रंग और चार भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और अभय मुद्रा, और बाएं हाथ में डमरू और वर मुद्रा होती है। वाहन के रूप में वे बैल पर विराजमान हैं। माना जाता है कि उनका स्वरूप जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है और भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है।
 
महाअष्टमी पूजा विधि
 
महागौरी माता की पूजा विधि सरल पर प्रभावशाली है। सबसे पहले लकड़ी की चौकी या मंदिर में माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सफेद वस्त्र बिछाकर यंत्र रखें और हाथ में मोगरे के फूल लेकर ध्यान करें। मां के चरणों में पुष्प अर्पित करें, दीपक जलाएं और नैवेद्य प्रस्तुत करें।
 
महागौरी मंत्र
  • श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
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  • ॐ देवी महागौर्यै नमः
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  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:
 
इन मंत्रों का जाप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से जीवन में सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
 
कन्या पूजन और भोग
 
महा अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को सम्मानपूर्वक पूजा में शामिल करें, उन्हें दक्षिणा दें और आशीर्वाद प्राप्त करें। भोग में नारियल और चीनी से बनी मिठाइयाँ, हलवा, काले चने या खीर-पूड़ी अर्पित करें। इससे मां महागौरी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि आती है।
 
महागौरी पूजा सामग्री
 
  • माता की मूर्ति या चित्र
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  • सफेद वस्त्र, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप, पुष्प, दूर्वा
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  • मेहंदी, बिंदी, सुपारी, हल्दी, पटरा, आसन, चौकी
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  • दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा
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  • लाल रंग की गोटेदार चुनरी, लाल रेशमी चूड़ियां
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  •  कमलगट्टा, बेलपत्र, पुष्पहार
 
महागौरी की कथा
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता महागौरी का रूप पार्वती माता के तपस्या और ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से उत्पन्न हुआ। देवी ने कठोर तपस्या कर अपने काले रूप को श्वेत और चमकदार रूप में परिवर्तित किया। कथा के अनुसार, माता के वाहन का चयन भी भक्ति और दया के कारण हुआ।
 
आरती और उपासना का महत्व
 
महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की आरती करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आरती के दौरान विषम संख्या में दीपक जलाएं और चरण, नाभि, मुख और पूरे शरीर पर आरती उतारें। इसे करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। भक्तों का जीवन संतुलित और सकारात्मक बनता है।
 
भक्ति और लाभ
 
मां महागौरी की सच्चे मन से पूजा करने से जीवन में सभी पाप धुल जाते हैं। भक्तों को स्वास्थ्य, धन, मोक्ष और सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। नवरात्रि के दौरान इस उपासना से आत्मिक शांति और भौतिक समृद्धि दोनों मिलती हैं।

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