देवगुरु बृहस्पति के समान ही दैत्यगुरु शुक्र को भी वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भौतिक सुख, वैभव, कला-सौंदर्य, प्रेम तथा दानशीलता पर इनकी सीधी दृष्टि रहती है। जब-जब शुक्र अपनी स्वराशि वृषभ में गोचर करते हैं, तब उनकी ऊर्जा पूर्ण बल से व्यक्त होती है—ठीक जैसे कमल अपना पूर्ण सौंदर्य सूर्योदय के साथ प्रकट करता है।
29 जून 2025 को प्रातःकाल शुक्र मेष से निकलकर वृषभ में प्रवेश करेंगे और लगभग एक माह तक यहाँ विराजमान रहेंगे। यह परिवर्तन राशिचक्र की तीन विशेष राशियों—कर्क, सिंह और कुंभ—के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है। आइए धर्म-आध्यात्म की दृष्टि से समझें कि यह दिव्य संयोग आपके जीवन में कौन-कौन सी शुभतर लहरें लेकर आएगा तथा किन अनुष्ठानों और सत्कर्मों द्वारा आप इस सकारात्मक ऊर्जा को और प्रबल बना सकते हैं।
कर्क राशि — लाभ भाव में चमकता शुक्र
कर्क लग्न/राशि वालों के लिए शुक्र ग्यारहवें लाभ-भाव में गोचर करेंगे—इसे ‘इच्छा-पूर्ति’ और ‘समृद्धि’ का घर कहा गया है। आपकी वर्षों से रूकी कोई आर्थिक योजना पूरी हो सकती है। मित्र-मंडली से सहयोग मिलेगा और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। जो विद्यार्थी या शोधकर्ता लंबे समय से परिश्रम कर रहे थे, उन्हें मनचाहा परिणाम मिलने का योग है।
धार्मिक उपाय
- शुक्रवार को लक्ष्मी-नारायण के सम्मुख श्वेत कमल या गुलाब अर्पित करें।
- 'ॐ शुक्राय नमः' का 108 बार जप करें।
- आवश्यकता से अधिक धन अथवा वस्त्र ‘अन्नदान’ या ‘विद्यादान’ के रूप में दान करने से अनुकूली परिणाम दोगुने होंगे।
सिंह राशि — दशम भाव में उपलब्धि का शंखनाद
आपके दशम कर्म-भाव में विराजित शुक्र सरकारी अथवा प्रशासनिक क्षेत्र में कार्यरत जातकों के लिए सम्मान, पदोन्नति, अथवा नई जिम्मेदारी का संकेत देते हैं। जिनका पारिवारिक व्यवसाय है, वहाँ नए सौदे लाभदायक सिद्ध होंगे। पिता अथवा वरिष्ठ पुरुष-सदस्य के साथ पुराने मतभेद समाप्त हो सकते हैं, जिससे पारिवारिक शांति लौटेगी।
धार्मिक उपाय
- रविवार के दिन सूर्य-उदय से पूर्व तांबे के लोटे में स्वच्छ जल, लाल पुष्प व चुटकी भर अक्षत डालकर आदित्य स्तोत्र के साथ अर्घ्य दें।
- शुक्रवार शाम घर के उत्तर-पश्चिम कोण (वायव्य) में इत्र से सुगंधित दीपक प्रज्वलित करें—यह शुक्र की कृपा को आकर्षित करता है।
- जरूरतमंद कन्याओं को सौंदर्य-सामग्री या चांदी का छोटा सिक्का दान करें।
कुंभ राशि — चतुर्थ भाव में सुख-समृद्धि का संयोग
शुक्र का चतुर्थ सुख-भाव में आना घर-परिवार, वाहन, भूमि तथा वैवाहिक सौहार्द का संकेतक है। जो कुंभ जातक प्रॉपर्टी खरीदने या नये वाहन का स्वप्न देख रहे थे, उनके लिए ग्रह-स्थिति अनुकूल है। माता का स्वास्थ्य सुधरेगा और आपसी संबंधों में मिठास आएगी। कला, मीडिया या सेल्स क्षेत्र वालों के लिए यह समय प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला है।
धार्मिक उपाय
- घर की पूर्व-दिशा में सात शुक्रवार तक सफ़ेद पुष्पों की माला चढ़ाएँ।
- माता के चरण स्पर्श कर ‘पार्वती स्तुति’ का पाठ करें; माता प्रसन्न होंगी तो शुक्र शुभ फल को दोगुना करेंगे।
- दुधारू गौ को शुक्रवार के दिन गेंहूँ-गुड़ खिलाने से संपत्ति-सुख स्थायी होता है।
सार्वत्रिक सावधानियाँ व शुभ अनुष्ठान
- शुक्र और स्वच्छता: शुक्र सौंदर्य व सुघड़ता के प्रतीक हैं। अतः घर-कार्यालय की स्वच्छता, सुगंध एवं साज-सज्जा पर विशेष ध्यान रखें।
- श्वेत वस्त्र व इत्र: गोचर अवधि में शुक्रवार को श्वेत या हल्के गुलाबी वस्त्र पहनें; गुलाब या चमेली का इत्र लगाएँ।
- गुरु-शुक्र संतुलन: गुरु के बिना शुक्र अतिलोलुप बना सकता है, अतः गुरुवार को पीली दाल का दान करें—संतुलन बना रहेगा।
- काले रंग व वाणी पर संयम: नकारात्मक या कटु भाषण शुक्र के फल को न्यून कर सकता है। काले, धूम्र-रंग वस्त्र इस अवधि में कम पहनें।
29 जून का यह शुक्र गोचर केवल भौतिक वैभव ही नहीं, बल्कि जीवन-शैली में सौंदर्य, मधुरता और करुणा का भी सूत्रपात करेगा। कर्क, सिंह और कुंभ राशि वालों के लिए यह अवधि धन-वृद्धि, पारिवारिक सुख-शांति तथा कर्म-क्षेत्र में नयी ऊँचाइयाँ छूने का अवसर है। किन्तु याद रखें—शुक्र की वास्तविक कृपा उसी पर टिकती है जो स्वयं सदाचार, विनम्रता व दानशीलता का दीप जलाए रखता है। इसलिए भोग के साथ सेवा और विलास के साथ परोपकार को जीवन-मंत्र बनाकर चलें। तब न केवल आपकी झोली भरेगी, बल्कि आपके माध्यम से समाज में भी प्रेम, सौंदर्य और संतुलन का आलोक फैलेगा।