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मणिपुर में बीजेपी का बड़ा दावा, 44 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने की तैयारी

मणिपुर में बीजेपी नेता राधेश्याम सिंह ने 44 विधायकों के समर्थन का दावा किया। राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने की प्रक्रिया पर चर्चा हुई। जनता को स्थिर सरकार की उम्मीद, फैसला जल्द आने की संभावना।

Manipur: मणिपुर में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बीजेपी नेता थोकचोम राधेश्याम सिंह ने बुधवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर 44 विधायकों के समर्थन का दावा पेश किया है। उनका कहना है कि प्रदेश में जल्द से जल्द एक नई सरकार का गठन करना जरूरी है ताकि जनता की समस्याओं का समाधान हो सके।

44 विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी का दावा

राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में राधेश्याम सिंह ने कहा, "लोगों की इच्छा है कि मणिपुर में एक स्थायी और मजबूत सरकार बने। हमने राज्यपाल महोदय को बताया कि हमारे पास 44 विधायकों का समर्थन है। राज्य की जनता पिछले कई सालों से संघर्ष और अनिश्चितता से जूझ रही है। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द सरकार बने और मणिपुर को स्थिरता और विकास की ओर बढ़ाया जाए।"

उन्होंने कहा कि इन 44 विधायकों में 32 मैतेई, 3 मणिपुरी मुस्लिम और 9 नागा विधायक शामिल हैं। इसके अलावा 9 अन्य विधायकों ने भी राज्यपाल से मुलाकात की है। उन्होंने साफ किया कि किसी ने भी नई सरकार के गठन का विरोध नहीं किया है।

राज्यपाल से मुलाकात में क्या हुआ?

बीजेपी नेता राधेश्याम सिंह ने बताया कि राज्यपाल ने उनकी बातों को ध्यान से सुना और आश्वस्त किया कि लोगों के हित में जल्द से जल्द निर्णय लिया जाएगा। राधेश्याम सिंह ने कहा, "हमने राज्यपाल को मणिपुर के हालात के बारे में विस्तार से बताया और उनसे आग्रह किया कि वे नई सरकार बनाने की प्रक्रिया को शुरू करें। राज्य के लोग बहुत परेशान हैं और स्थिरता चाहते हैं।"

बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से सलाह

बीजेपी नेताओं का कहना है कि अंतिम फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा। यानी, बीजेपी के दिल्ली स्थित बड़े नेता तय करेंगे कि मणिपुर में सरकार बनाने की प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाना है। हालांकि, स्थानीय नेताओं ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर ली है और समर्थन भी जुटा लिया है।

विरोध नहीं, सब समर्थन में

बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि स्पीकर सत्यव्रत ने व्यक्तिगत रूप से और समूह में 44 विधायकों से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, "कोई भी विधायक नई सरकार के गठन का विरोध नहीं कर रहा है। सबका यही कहना है कि मणिपुर को एक स्थायी सरकार की जरूरत है।"

मणिपुर की मौजूदा राजनीतिक स्थिति

गौरतलब है कि मणिपुर में पिछले साल मई 2023 से जातीय संघर्ष की वजह से हालात बेहद खराब हैं। मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच संघर्ष के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है।

मौजूदा विधानसभा में 60 सीटें हैं, लेकिन एक विधायक की मृत्यु के कारण 59 सदस्य ही हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास कुल 44 विधायक हैं, जिनमें 32 मैतेई, 3 मणिपुरी मुस्लिम और 9 नागा विधायक शामिल हैं। कांग्रेस के पास 5 विधायक हैं, जबकि 10 कुकी विधायक अलग-अलग पार्टियों से हैं, जिनमें 7 ने पिछला चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ा था, 2 कुकी पीपुल्स अलायंस से और 1 निर्दलीय है।

मणिपुर की जनता की उम्मीदें

मणिपुर के लोग पिछले कई महीनों से राजनीतिक अनिश्चितता, हिंसा और संघर्ष के साये में जी रहे हैं। लंबे समय से स्थिर सरकार नहीं होने के कारण विकास कार्य रुके हुए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी योजनाएं भी ठप हैं। ऐसे में बीजेपी की तरफ से सरकार बनाने का दावा जनता के लिए राहत की खबर हो सकती है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द एक स्थायी सरकार बने, ताकि प्रदेश में शांति लौटे और विकास की गति तेज हो।

केंद्र से हरी झंडी मिलने का इंतजार

अब सभी की नजरें बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं। क्या केंद्रीय नेतृत्व मणिपुर में सरकार बनाने की मंजूरी देगा? क्या जल्द ही बीजेपी एक नई सरकार का गठन कर पाएगी? इन सभी सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिल सकता है।

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