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प्रियंका चतुर्वेदी की विदेश यात्रा: आतंकवाद और दोहरे रवैये के खिलाफ विश्व मंच पर भारत की आवाज़ बुलंद

प्रियंका चतुर्वेदी की विदेश यात्रा: आतंकवाद और दोहरे रवैये के खिलाफ विश्व मंच पर भारत की आवाज़ बुलंद

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की सदस्य के रूप में छह यूरोपीय देशों का दौरा कर लौटी हैं। इस महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान उन्होंने आतंकवाद और पाकिस्तान के दोहरे रवैये को वैश्विक मंच पर मजबूती से उठाया।

मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ छह यूरोपीय देशों का दौरा कर लौटी हैं। इस महत्वपूर्ण यात्रा के दौरान उन्होंने आतंकवाद, पाकिस्तान के दोहरे रवैये और भारत की एकता जैसे मुद्दों को वैश्विक मंचों पर मजबूती से उठाया। अपनी वापसी पर प्रियंका ने कहा कि यह यात्रा न केवल सफल रही, बल्कि भारत के राष्ट्रीय हितों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का अवसर भी मिला।

छह देशों में भारत की आवाज़ को मजबूत किया

प्रियंका चतुर्वेदी ने बताया कि इस दौरे में उन्होंने जर्मनी, इटली, डेनमार्क सहित छह प्रमुख यूरोपीय देशों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, विदेश मंत्रियों और संसदीय समितियों के अध्यक्षों से मुलाकात की। बर्लिन में जर्मनी के विदेश मंत्री से खास बातचीत की गई तो रोम में इटली के उप विदेश मंत्री ने भारत के पक्ष में सहानुभूति जताई। 

कोपेनहेगन में भी उच्चस्तरीय बैठकों में भारत की स्थिति को मजबूती से रखा गया। इसके अलावा, प्रवासी भारतीयों, मीडिया और थिंक टैंक्स के साथ संवाद से भी भारत की विदेश नीति को समझाने का प्रयास किया गया। प्रियंका ने कहा, प्रवासी भारतीय हमारे देश की ताकत हैं। उनकी आवाज़ को सुनना और उनसे संवाद करना इस यात्रा का एक अहम हिस्सा था। हमने भारत की चिंताओं को पूरी जिम्मेदारी के साथ वैश्विक समुदाय के सामने रखा।

आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता और 26/11 की यादें

प्रियंका चतुर्वेदी ने 26/11 मुंबई हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस त्रासदी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से गहराई से प्रभावित किया और राजनीति में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, 26/11 ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी। मैं समझती हूं कि आतंकवाद कितने परिवारों को तबाह कर देता है, कितनी महिलाओं और बच्चों के जीवन को संकट में डालता है।

उनका कहना था कि आतंकवाद केवल जान-माल की हानि ही नहीं बल्कि देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिरता को भी हिला देता है। “महिलाओं के सामने आजीविका संकट खड़ा होता है, व्यापार और निवेश प्रभावित होते हैं। इसलिए यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाऊं।

धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिशों को नकारा

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भारत को धर्म के आधार पर बांटने की जो भी कोशिशें होती हैं, उन्हें हमने वैश्विक मंचों पर बेनकाब किया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, देश की एकता और अखंडता की रक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। इस संदर्भ में मेरा प्रयास रहा कि दुनिया को यह दिखा सकूं कि भारत एक समावेशी और एकजुट राष्ट्र है।

उनका मानना है कि उनकी अंतरराष्ट्रीय भाषणों और संवादों ने लोगों के विचारों को प्रभावित किया है और भारत के वास्तविक मुद्दों को वैश्विक स्तर पर पेश किया है। अगर इससे देश को लाभ पहुंचा है, तो मैं इसे अपने लिए गर्व की बात मानती हूं।

पाकिस्तान के दोहरे रवैये का खुलासा

प्रियंका ने कहा, “पाकिस्तान का दोहरा रवैया अब किसी से छिपा नहीं। हमनें इसे हर मंच पर बेनकाब किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के जरिए भारत की एकता को तोड़ने की कोशिश करता है, लेकिन भारत ने इस कोशिश को कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने खासतौर पर पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा, पहलगाम हमले जैसी घटनाएं हमारे देश की एकता और अखंडता के खिलाफ हैं, लेकिन हमने इसे एकजुट होकर विश्व समुदाय के सामने रखा और उस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।

प्रियंका ने साफ शब्दों में कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई दृढ़ता से लड़ रहा है और पाकिस्तान अपने एजेंडे में कभी सफल नहीं होगा। दुनिया भर में फैलाए गए आतंक को खत्म करना हमारी जिम्मेदारी है।

वैश्विक मंच पर भारत का मजबूती से प्रतिनिधित्व

प्रियंका चतुर्वेदी की इस यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर न केवल अपनी ताकत दिखा रहा है, बल्कि अपने सामने आने वाले गंभीर मुद्दों को भी सशक्त रूप से पेश कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि विदेशों में भारतीय समुदाय के प्रति समर्थन और देश की छवि को बेहतर बनाने के लिए यह संवाद जरूरी है।

शिवसेना यूबीटी सांसद ने कहा, ऐसे दौर में जब धर्म और विभाजन की बात की जा रही है, तब भारत की एकता और संप्रभुता को बनाए रखना हम सभी का कर्तव्य है। विदेशों में हमारी आवाज़ को बुलंद करना इसी का हिस्सा है।

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