Rajya Sabha: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ सागरिका घोष ने लगाए आरोप, विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव किया पेश

Rajya Sabha: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ सागरिका घोष ने लगाए आरोप, विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव किया पेश
Last Updated: 2 घंटा पहले

घोष ने कहा कि "केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी सदस्यों का अपमान किया है और संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह उनके खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां की हैं।"

Rajya Sabha: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव उच्च सदन में विपक्षी नेताओं के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों के बाद लाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रस्ताव पर 60 विपक्षी नेताओं का समर्थन प्राप्त हुआ है, और उन्होंने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। 

घोष का आरोप है कि किरेन रिजिजू ने कल सदन में विपक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी इस सदन में रहने के योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री को संसद को सुचारू रूप से चलाने पर फोकस करना चाहिए, लेकिन वे बार-बार विपक्ष का अपमान कर रहे हैं। घोष ने इस व्यवहार को पूरी तरह से अनुचित बताते हुए कहा कि रिजिजू अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।

रिजिजू पर लगाए गए आरोप

सागरिका घोष ने किरेन रिजिजू पर आरोप लगाया कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों का अपमान किया है और संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह उनके खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां की हैं। उन्होंने कहा कि रिजिजू की भाषा और व्यवहार ने संसदीय मर्यादाओं को कमजोर किया है और उनकी टिप्पणी सीधे तौर पर विपक्ष को अपमानित करती है। यह एक गंभीर मुद्दा है जो संसद के कार्यवाहक मंत्री के पद की गरिमा को भी प्रभावित करता है।

घोष ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से लोकतंत्र और संसद की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है।

विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का उद्देश्य 

विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संसद में किसी भी सदस्य के प्रति अपमानजनक व्यवहार की कोई जगह नहीं हो। विपक्ष का मानना है कि संसदीय कार्य मंत्री द्वारा की गई टिप्पणियां न केवल अनुचित हैं, बल्कि संसदीय आचार संहिता का भी उल्लंघन करती हैं। यह प्रस्ताव संसद की मर्यादा बनाए रखने और सभी सदस्य की गरिमा की रक्षा के लिए लाया गया है। विपक्ष के अनुसार, रिजिजू की टिप्पणियां एक अपमानजनक और अस्वीकार्य व्यवहार का हिस्सा हैं, जो इस स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

सरकार की स्थिति और आगे की कार्रवाई

सरकार की तरफ से फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन विपक्ष इस विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने के लिए जोर दे रहा है। सूत्रों के अनुसार, विशेषाधिकार समिति या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को इस मुद्दे पर विस्तृत जांच करने और निष्कर्ष निकालने के लिए कहा जा सकता है। विपक्ष का मानना है कि यदि इस तरह के व्यवहार को अनदेखा किया गया तो यह संसदीय लोकतंत्र और लोकसभा की गरिमा को प्रभावित कर सकता है।

Leave a comment