UP News: बागेश्वर धाम प्रमुख की एकता रैली पर भड़के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, कहा- 'धीरेंद्र शास्त्री केवल एक मोहरा हैं, जबकि...'

UP News: बागेश्वर धाम प्रमुख की एकता रैली पर भड़के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, कहा- 'धीरेंद्र शास्त्री केवल एक मोहरा हैं, जबकि...'
Last Updated: 1 दिन पहले

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा आयोजित सनातन हिंदू एकता रैली पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने इसे एक राजनीतिक खेल करार दिया है। शंकराचार्य ने कहा कि जाति हिंदू समाज की पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसके बिना हिंदू धर्म को समझना अधूरा हैं।

लखनऊ: बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सनातन हिंदू एकता रैली का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसकी पदयात्रा इस समय उत्तर प्रदेश के झांसी में है। हालांकि, इस रैली को लेकर विवाद भी सामने आ रहे हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस रैली पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह रैली हिंदू एकता के नाम पर एक राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने का प्रयास है। उनका कहना है कि यह पूरी योजना जनता को जातीय रूप से विभाजित न करने और एकमुश्त वोट हासिल करने के इरादे से बनाई गई हैं।

सनातन हिंदू एकता रैली एक राजनीतिक खेल है - अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता रैली को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे राजनीतिक एजेंडा बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि धीरेंद्र शास्त्री राजनीतिक शक्ति के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं और उनकी यह यात्रा सनातन धर्म से नहीं, बल्कि राजनीति से प्रेरित हैं।

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इस रैली में "जात-पात की करो विदाई, हिंदू-हिंदू भाई-भाई" जैसे नारे लगाए जा रहे हैं, जो जनता को जातीय विभाजन से बचाने और हिंदुओं को एकजुट करके एकमुश्त वोट हासिल करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, "यह राजनीतिक खेल है और इसका सनातन धर्म से कोई लेना-देना नहीं हैं।"

'बटोगे तो कटोगे' के नारे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस नारे का मकसद यह दिखाना है कि हिंदू समाज जातियों में न बंटे, ताकि सभी हिंदू एक साथ मिलकर वोट दें। उन्होंने दावा किया कि नेताओं ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को साधने के लिए धीरेंद्र शास्त्री को जनता के बीच उतारा है। शंकराचार्य ने कहा, "दूसरी पार्टियों पर जात-पात की राजनीति करने का आरोप लगाकर यह संदेश दिया जा रहा है कि हिंदुओं को जात-पात में नहीं बंटना चाहिए, ताकि उनका वोट हमें मिले। यह साबित करने के लिए धीरेंद्र शास्त्री सड़क पर उतरे हैं।"

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा 

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता रैली पर और भी कड़ी टिप्पणियां की हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में जाति एक महत्वपूर्ण पहचान है और जाति ही हिंदू की पहचान होती है। उनका कहना था, "अगर आपसे कोई पूछेगा कि आप कौन से हिंदू हो, तो आप कहोगे कि हिंदू हैं, तो लोग क्या भरोसा करेंगे?"

उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी परंपरा का हिस्सा है और हमारे समाज में वर्णाश्रम का विचार प्राचीन काल से मौजूद है। उनका यह भी मानना था कि यदि जात-पात को समाप्त कर दिया गया तो हमारी पहचान ही नष्ट हो जाएगी, और जब पहचान नहीं रहेगी तो हम सनातनी कैसे रहेंगे। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि आंदोलन इस बात के लिए होना चाहिए कि वर्णाश्रम का सम्मान करते हुए किसी को नीचा न दिखाया जाए। लेकिन अगर जात-पात की विदाई कर दी जाती है, तो यह हमारी संस्कृति और पहचान को समाप्त कर देगा।

Leave a comment