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UP Politics: रालोद विधायक मिथलेश पाल की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट के आरोप से खतरे में पड़ी विधायकी, जानिए कौन है मिथलेश पाल?

UP Politics: रालोद विधायक मिथलेश पाल की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट के आरोप से खतरे में पड़ी विधायकी, जानिए कौन है मिथलेश पाल?
अंतिम अपडेट: 09-12-2024

मीरापुर मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) से रालोद विधायक मिथलेश पाल सहित 14 लोगों पर कोर्ट ने आरोप तय किए हैं। इन पर 2019 में ट्रैफिक बाधित करने और दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने आगामी 3 जनवरी को सजा सुनाए जाने की तारीख तय की है। इस मामले में अधिकतम 3 साल की सजा का प्रावधान हैं। 

मुजफ्फरनगर: नवनिर्वाचित रालोद विधायक मिथलेश पाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि कोर्ट ने उनके अलावा 15 अन्य लोगों पर आरोप तय कर दिए हैं। यह मामला 2019 का है, जब मिथलेश पाल और उनके साथियों पर दंगा भड़काने, ट्रैफिक बाधित करने और अन्य आरोप लगे थे। इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही है, और 3 जनवरी को अदालत में सजा का फैसला आना हैं। 

मिथलेश पाल समेत अन्य आरोपियों पर सिविल लाइन थाने में धारा 147 (दंगा), 148 (दंगा करने के लिए हथियार से लैस होना) और 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। अगर अदालत उन्हें सजा सुनाती है, तो उनके लिए विधायकी खोने का खतरा हो सकता है, क्योंकि भारतीय संविधान के अनुसार किसी विधायक को सजा मिलने पर उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती हैं। 

कौन हैं मिथलेश पाल?

मिथलेश पाल, जो पहले रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ी थीं, अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। वह 2009 में रालोद के सिंबल पर मोरना सीट से उपचुनाव जीतकर विधायक बनी थीं, जहां उन्होंने बसपा के पप्पू राणा को हराया था। 2012 में वह मीरापुर सीट से रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ीं और दूसरे स्थान पर रही थीं, जबकि 2017 में भी उन्होंने मीरापुर से चुनाव लड़ा, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रही थीं।

2017 के चुनाव में भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना ने जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी के लियाकत अली दूसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद मिथलेश पाल ने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन 2022 में वह भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा-रालोद गठबंधन में मीरापुर उपचुनाव रालोद के लिए छोड़ी गई, और इस चुनाव में सपा की हार के प्रमुख कारणों में से एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में कम वोट प्रतिशत था, जहां महज 40 प्रतिशत ही मतदान हुआ था।

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