सीरिया में हालात गंभीर रूप से बदल गए हैं। विद्रोही गुटों ने देश की राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है, और राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस चले गए हैं।
World: इतिहास में तख्तापलट के बाद नेताओं की मूर्तियों को गिराना उनके शासन के अंत और नए युग की शुरुआत का प्रतीक रहा है। ऐसा इराक में 2003 में देखने को मिला, जब अमेरिकी आक्रमण के बाद बगदाद के फिरदौस स्क्वायर में सद्दाम हुसैन की मूर्ति को क्रेन से गिराया गया। यह उनकी 24 साल लंबी सत्ता के अंत का प्रतीक बना।
2011 में लीबिया में मुअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद, त्रिपोली में उनकी मूर्तियां विद्रोहियों द्वारा तोड़ी गईं, जो दशकों के दमन के खिलाफ जनता की जीत का प्रतीक था। इसी तरह, पूर्वी यूरोप में सोवियत संघ के प्रभाव से आजादी मिलने पर 1956 से 1989 के बीच जोसेफ स्टालिन की मूर्तियां गिराई गईं। इन घटनाओं ने यह दर्शाया कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही पुराने प्रतीकों और स्मृतियों को हटाकर नए युग की शुरुआत होती हैं। जानते हैं तख्तापलट के बाद किन नेताओं की मूर्तियों को तोड़ दिया गया।
1. हाफिज अल-असद- सीरिया
सीरिया में विद्रोही गुटों द्वारा राजधानी दमिश्क पर कब्जा करने के बाद, भगोड़े राष्ट्रपति बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद की मूर्ति को तोड़ दिया गया। यह घटना जनता के आक्रोश और सत्ता परिवर्तन का प्रतीक बन गई। हाफिज अल-असद सीरिया के प्रमुख राजनीतिज्ञ और सैन्य अधिकारी थे, जिन्होंने 1971 से 2000 तक सीरिया के राष्ट्रपति के रूप में शासन किया। उनके शासनकाल को स्थिरता और सुधारों के साथ-साथ दमनकारी नीतियों के लिए भी जाना जाता था।
2. सद्दाम हुसैन- इराक
9 अप्रैल 2003 को, इराक की राजधानी बगदाद के फिरदोस स्क्वायर में सद्दाम हुसैन की एक विशाल प्रतिमा को गिराने की घटना को विश्वभर में एक प्रतीकात्मक क्षण के रूप में देखा गया। यह घटना अमेरिकी सेना और स्थानीय इराकी नागरिकों के सहयोग से हुई, जब सद्दाम के लंबे और सत्तावादी शासन का अंत हुआ। यह प्रतिमा 2002 में उनके शासन के 65वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में बनाई गई थी।
प्रतिमा गिराए जाने की इस घटना को वैश्विक मीडिया ने व्यापक रूप से कवर किया। इसे इराक में 24 वर्षों तक चले सद्दाम हुसैन के शासन के पतन और अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण की सफलता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया।
3. मुअम्मर अल गद्दाफी- लीबिया
2011 में लीबिया के त्रिपोली में विद्रोही लड़ाकों ने कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के बाब अल-अजीजिया परिसर पर कब्जा कर लिया, जो उनके शासन का मुख्यालय और प्रतीक था। इस दौरान, विद्रोहियों ने गद्दाफी की मूर्ति गिरा दी, जो उनके 42 साल लंबे शासन के पतन का प्रतीक बन गई। बाब अल-अजीजिया, जो कभी गद्दाफी की शक्ति और विलासिता का प्रतीक था, विद्रोह के बाद खंडहर में बदल गया।
आज, 25 एकड़ में फैला यह महल परिसर कूड़े के ढेर, बाजार और पालतू जानवरों के एम्पोरियम में बदल चुका है। यह स्थान अब गद्दाफी के शासन और उसके अंत के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो लीबिया में सत्ता परिवर्तन और संघर्ष के निशान को दर्शाता हैं।
4. शेख मुजीबुर्रहमान- बांग्लादेश
अगस्त में बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत भाग आईं, और उनके निर्वासन के साथ देश में अशांति का माहौल बन गया। इस दौरान, लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को तोड़ दिया। यह घटना बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता संघर्ष का प्रतीक बन गई। शेख मुजीबुर्रहमान, जिन्हें "बंगबंधु" के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नेता और 1971 में देश के पहले राष्ट्रपति थे।
5. व्लादिमीर लेनिन- यूक्रेन
सोवियत संघ के पतन के बाद 1990 के दशक में यूक्रेन में व्लादिमीर लेनिन के स्मारकों को गिराने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो तेजी से पूरे देश में फैल गई। यह प्रक्रिया यूक्रेन के सोवियत अतीत से दूरी बनाने और एक स्वतंत्र राष्ट्रीय पहचान स्थापित करने का प्रतीक थी। विशेष रूप से यूक्रेन के पश्चिमी हिस्सों में, जहां सोवियत शासन के प्रति अधिक विरोधाभाव रहा, लेनिन की मूर्तियों को बड़े पैमाने पर हटाया गया।
6. डीए राजपक्षे- श्रीलंका
मई 2022 में श्रीलंका में हुए जनविद्रोह के दौरान प्रदर्शनकारियों ने महिंदा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे के पिता डी.ए. राजपक्षे की प्रतिमा को गिरा दिया था। यह घटना श्रीलंका के आर्थिक संकट के चरम पर हुई, जब देश ईंधन, भोजन और दवाओं की गंभीर कमी से जूझ रहा था। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि राजपक्षे परिवार की भ्रष्ट और अप्रभावी नीतियों के कारण देश को अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।
डी.ए. राजपक्षे की प्रतिमा गिराना न केवल राजपक्षे परिवार के खिलाफ जनता के आक्रोश को दिखाता था, बल्कि यह संकेत भी था कि लोग इस परिवार से जुड़े हर प्रतीक को मिटाना चाहते थे।