कनाडा के वैंकूवर में खालिस्तान समर्थकों ने खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन को धमकाया और उनका फोन छीना। PM मोदी को लेकर 'G-7 में राजनीति खत्म' करने की धमकी दी गई। यह घटना अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई है।
Canada: कनाडा के वैंकूवर में एक साप्ताहिक खालिस्तानी रैली के दौरान खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन को डराने और धमकाने का गंभीर मामला सामने आया है। पत्रकार ने बताया कि उन्हें घेरकर धमकाया गया, उनका फोन छीना गया और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर ‘G-7 में राजनीति खत्म कर देंगे’ जैसी धमकी दी गई।
बेजिरगन लंबे समय से कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड में खालिस्तानी गतिविधियों का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं। यह मामला भारत और कनाडा के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों के बीच नई चिंता पैदा करता है।
पत्रकार को घेरकर दी धमकी
कनाडा के वैंकूवर शहर में रविवार, 8 जून 2025 को एक साप्ताहिक खालिस्तानी रैली के दौरान एक बेहद गंभीर घटना घटी। जाने-माने खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन, जो कई वर्षों से खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनों और गतिविधियों की डॉक्यूमेंट्री रिपोर्टिंग करते आ रहे हैं, को एक उग्र भीड़ ने घेर लिया।
बेजिरगन उस समय रैली की वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे थे, जब कुछ लोग उनके सामने आए और उन्हें डराना शुरू कर दिया। उन्होंने खुद बताया कि अचानक दो-तीन लोग उनके पास पहुंचे और उन्हें धमकाने लगे। इसी दौरान एक व्यक्ति ने उनके हाथ से फोन छीन लिया।
“मैं अभी भी कांप रहा हूं”: पत्रकार ने साझा की आपबीती
एएनआई से फोन पर बातचीत में मोचा बेजिरगन ने बताया, “ये घटना मेरे साथ सिर्फ दो घंटे पहले ही घटी है और मैं अभी भी कांप रहा हूं। उन्होंने गुंडों जैसा व्यवहार किया। वे मेरी रिकॉर्डिंग को रोकने की कोशिश कर रहे थे और मेरा फोन भी छीन लिया।”
उन्होंने आगे कहा कि उस भीड़ की अगुवाई एक ऐसा व्यक्ति कर रहा था, जो उन्हें पहले भी ऑनलाइन परेशान कर चुका है। बेजिरगन के अनुसार, यह सिर्फ व्यक्तिगत हमला नहीं था, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता पर भी सीधा प्रहार है।
‘G-7 में मोदी की राजनीति खत्म कर देंगे’
घटना का सबसे चौंकाने वाला पहलू वो टिप्पणी रही जो बेजिरगन ने रैली में मौजूद लोगों से सुनी। उन्होंने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि “G-7 सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति खत्म कर देंगे।” बेजिरगन ने जब उनसे सवाल किया कि क्या वे ऐसा ही करना चाहते हैं जैसा इंदिरा गांधी के साथ हुआ था, तो उनमें से कुछ लोगों ने साफ कहा कि वे इंदिरा गांधी के हत्यारों को अपने पूर्वज मानते हैं और उन्हें गौरव के रूप में देखते हैं।
इस तरह के बयान, जहां एक लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री को हिंसक रूप से निशाना बनाने की बात कही जा रही हो, न सिर्फ असंवैधानिक हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ खतरनाक मानसिकता को दर्शाते हैं।
प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला या जानबूझकर की गई रणनीति?
बेजिरगन वर्षों से कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड में चल रहे खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनों का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं। उनके अनुसार, इस बार उन्हें डराने की कोशिश सुनियोजित लग रही थी। उन्होंने कहा कि विरोध की आड़ में कुछ कट्टरपंथी तत्व स्वतंत्र पत्रकारों को धमकाकर सच सामने लाने से रोकना चाहते हैं।
बेजिरगन ने बताया कि उन्होंने बैकअप रिकॉर्डिंग चालू कर दी थी ताकि घटना का पूरा दस्तावेज सुरक्षित रहे। बाद में वैंकूवर की पुलिस ने बीच-बचाव कर स्थिति को संभाला और पत्रकार का फोन वापस दिलवाया।