भारत और अमेरिका में चुनाव प्रक्रिया काफी अलग होती है, खासकर प्रचार और मतदान के समय के मामले में। भारत में, चुनाव प्रचार मतदान शुरू होने से 36 घंटे पहले बंद कर दिया जाता है, जो कि भारतीय चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियम है। दूसरी ओर, अमेरिका में प्रचार और मतदान साथ-साथ हफ्तों तक चलते रहते हैं। वहां प्रारंभिक मतदान और डाक से मतदान की व्यवस्था होती है, जिससे लोग आधिकारिक चुनाव दिन से पहले ही अपने वोट डाल सकते हैं।
वॉशिंगटन: अमेरिका में पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी जोरों पर है, जहां डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन उम्मीदवार, कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप, अपनी चुनावी मुहिम में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, प्रचार-प्रसार तेज होता जा रहा है। खास बात यह है कि चुनाव से दो हफ्ते पहले ही 2 करोड़ से अधिक लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं।
फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के इलेक्शन लैब के आंकड़ों के मुताबिक, इनमें से लगभग 78 लाख वोट प्रारंभिक व्यक्तिगत मतदान (early in-person methods) के जरिए डाले गए, जबकि शेष 1.3 करोड़ मत डाक-इन-बैलेट (डाक मतपत्र) के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। इस तरह का प्रारंभिक मतदान अमेरिका में आम है, जहां मतदाता चुनाव दिवस से पहले ही अपना वोट डाल सकते हैं। यह प्रक्रिया अमेरिकी चुनाव व्यवस्था को अनूठा बनाती है, क्योंकि प्रचार और मतदान साथ-साथ चलते हैं, जबकि भारत जैसे देशों में प्रचार चुनाव से पहले बंद हो जाता हैं।
इस तरह डाल सकते हैं आधिकारिक चुनाव दिन से पहले वोट
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव का फैसला मुख्य रूप से सात महत्वपूर्ण राज्यों के नतीजों पर निर्भर करेगा, जिनमें एरिज़ोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, उत्तरी कैरोलिना, और जॉर्जिया शामिल हैं। इन राज्यों को चुनावी दृष्टिकोण से 'स्विंग स्टेट्स' कहा जाता है, क्योंकि यहां के परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं और ये राष्ट्रपति चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
प्रारंभिक मतदान अमेरिकी मतदाताओं के लिए एक अनोखी व्यवस्था है, जहां वे डाक-इन-बैलेट या वास्तविक मतदान केंद्रों पर जाकर, जो चुनाव से कुछ सप्ताह पहले खुलते हैं, अपना वोट डाल सकते हैं। यह व्यवस्था कुछ हद तक भारत के डाक मतपत्रों जैसी होती है। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के इलेक्शन लैब के अनुसार, एशियाई अमेरिकियों के बीच प्रारंभिक मतदान का प्रतिशत केवल 1.7% है, हालांकि कुछ स्थानों पर भारतीय-अमेरिकियों को बड़ी संख्या में वोट डालने के लिए कतारों में खड़ा देखा गया।
उदाहरण के तौर पर, 88 वर्षीय चंचल झिंगन और उनकी बेटी वंदना झिंगन ने इलिनोइस के एक उपनगर में 21 अक्टूबर को मतदान किया। उनका कहना था कि उन्होंने ऐसे व्यक्ति के लिए मतदान किया है जो अमेरिका को फिर से महान बना सकता है। टेक्सास में जितेंद्र आर. दिगंवकर ने भी वोट डाला, हालांकि उन्हें लंबी कतारों का सामना करना पड़ा।
चुनाव में किसे मिल रहा अधिक समर्थन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रिपब्लिकन मतदाता उम्मीद से अधिक संख्या में जल्दी मतदान कर रहे हैं। एरिज़ोना में शुरुआती मतदान पर नज़र रखने वाले डेमोक्रेटिक रणनीतिकार सैम एल्मी का कहना है कि रिपब्लिकन पार्टी ने अपने मतदाताओं को जल्दी मतदान के लिए प्रोत्साहित करने में बेहतर काम किया है। उन्होंने कहा, "रिपब्लिकनों को यह एहसास हो गया है कि जल्दी मतदान करना आसान और सुविधाजनक है, जिससे वे चुनाव के दिन मतदाताओं के विचार बदलने के जोखिम से बच सकते हैं।"
इलेक्शन लैब के आंकड़ों के अनुसार, व्यक्तिगत रूप से मतदान करने वाले रिपब्लिकन मतदाताओं में से अब तक 41.3% ने मतदान किया है, जबकि डेमोक्रेट्स ने 33.6% मतदान किया है। डाक-इन-बैलेट के मामले में दोनों पार्टियां करीब-करीब समान हैं, जहां डेमोक्रेट्स का प्रतिशत 20.4% और रिपब्लिकनों का 21.2% हैं।
महत्वपूर्ण राज्यों में प्रारंभिक मतदान के चलते बड़ी संख्या में रिपब्लिकन मतदाता हिस्सा ले रहे हैं, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनावी संभावनाएं बढ़ा सकते हैं। जॉर्जिया राज्य में एक चौथाई मतदाता पहले ही मतदान कर चुके हैं। राज्य सचिव ब्रैड रैफेंसपर्गर ने कहा कि जॉर्जिया में 18.4 लाख से अधिक लोग पहले ही अपना मत डाल चुके हैं, और यह संभावना है कि राज्य में रिकॉर्ड मतदान हो सकता हैं।