केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश करने की तैयारी पूरी कर ली है, जिसके बाद सरकार की नजर इस बिल को पारित कराने पर है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को लेकर प्रमुख रणनीतिक कदम उठाते हुए, एनडीए के सहयोगी दलों से चर्चा की।
नई दिल्ली: सरकार बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश करने जा रही है, और उसकी मंशा इसे लोकसभा से पारित कराने की है। यह बिल एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट के बाद संशोधित किया गया है, और अब इसकी प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार की तरफ से इस बिल को पारित कराने की जिम्मेदारी गृह मंत्री अमित शाह ने खुद उठाई है। बिल के पेश होने से पहले, अमित शाह सक्रिय हो गए हैं, और इसे लेकर रणनीतिक तैयारियां भी जोरों पर हैं।
हालांकि, इस बिल को लेकर सबकी नजर एनडीए के दो सहयोगी दलों के रुख पर है, जो मुस्लिम समुदाय में मजबूत पैठ रखते हैं। उनके समर्थन या विरोध का इस बिल की पारित होने की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है।
अमित शाह का जेडीयू से संवाद
वक्फ संशोधन बिल के संदर्भ में, अमित शाह ने बिहार में एनडीए के महत्वपूर्ण सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के नेताओं से मुलाकात की। शाह ने जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह और सांसद संजय झा के साथ बैठक की और उन्हें बिल के विभिन्न पहलुओं पर आश्वस्त किया। हालांकि, जेडीयू ने अभी इस बिल पर अपना अंतिम रुख स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन चर्चा से साफ है कि पार्टी का समर्थन हासिल करने की सरकार की पूरी कोशिश है।
आईयूएमएल का विरोध और असंवैधानिक आरोप
वहीं, इस बिल को लेकर विपक्षी दलों में भी हलचल तेज हो गई है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते हुए इसे "संविधान के खिलाफ" करार दिया। पार्टी के सांसद ई. टी. मोहम्मद बशीर ने आरोप लगाया कि इस बिल के माध्यम से वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी इसका कड़ा विरोध करेगी, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप मुस्लिम समुदाय को नुकसान हो सकता है।
टीडीपी का समर्थन और वक्फ संशोधन की अहमियत
मूदी सरकार को इस बिल को लेकर तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) का समर्थन मिल चुका है। पार्टी के प्रवक्ता प्रेम कुमार जैन ने बयान जारी कर कहा कि उनकी पार्टी बिल के समर्थन में है और चंद्रबाबू नायडू मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए इस बिल का समर्थन करेंगे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर अंतिम टिप्पणी बिल पेश होने के बाद की जाएगी।
लोकसभा और राज्यसभा में सरकार की स्थिति
वक्फ संशोधन बिल को पारित कराने के लिए सरकार को संसद में मजबूत समर्थन की आवश्यकता होगी, और इस मामले में सरकार के पास संख्या बल का अच्छा खेल है। लोकसभा में सरकार के पास 293 सांसदों का समर्थन है, जबकि राज्यसभा में भी सरकार का पक्ष मजबूत है। बीजेपी के सांसदों की संख्या 98 है, और एनडीए के सहयोगियों के साथ यह आंकड़ा 121 तक पहुंच जाता है, जो कि बिल के पारित होने के लिए पर्याप्त है।
विधेयक में बदलावों की प्रक्रिया
यह बिल पिछले साल संसद की संयुक्त समिति के पास गया था, जिसके बाद कई संशोधन किए गए थे। अब, सरकार की पूरी कोशिश है कि वह इस विधेयक को संसद में बिना किसी बाधा के पारित करवा सके। विपक्षी दल इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ और असंवैधानिक मानते हुए विरोध जता रहे हैं। सरकार अब इस बिल को एक अहम कदम मान रही है, जो वक्फ की संपत्तियों की देखरेख और उनके सही उपयोग के लिए आवश्यक है। इसके बाद, अगर यह विधेयक पारित होता है, तो यह भारतीय राजनीति और मुस्लिम समाज के लिए एक नई दिशा तय करेगा।