Apple और Google की 22 साल पुरानी साझेदारी पर DOJ का शिकंजा, क्या है पूरा मामला?

Apple और Google की 22 साल पुरानी साझेदारी पर DOJ का शिकंजा, क्या है पूरा मामला?
Last Updated: 1 घंटा पहले

Apple और Google के बीच 22 साल पुरानी साझेदारी को लेकर आई समस्या का मुख्य कारण अमेरिकी न्याय विभाग (Department of Justice) का फैसला है। 2002 में दोनों कंपनियों के बीच एक बड़ी डील हुई थी, जिसके तहत Google हर साल Apple को $24 बिलियन का भुगतान करता था ताकि उसका सर्च इंजन Apple के iPhone और अन्य उपकरणों में डिफॉल्ट विकल्प बना रहे।

हालांकि, हाल के समय में अमेरिकी सरकार की नजर इस समझौते पर पड़ी है, और इस डील को प्रतिस्पर्धा (एंटीट्रस्ट) कानूनों के तहत सवालों के घेरे में लाया जा रहा है। न्याय विभाग का दावा है कि यह डील बाजार में प्रतिस्पर्धा को दबाने और Google को अपने सर्च इंजन की प्रमुख स्थिति बनाए रखने में मदद करती है, जिससे उपभोक्ताओं के पास सीमित विकल्प बचते हैं।

DOJ का एंटीट्रस्ट मामला

DOJ का यह मुकदमा एंटीट्रस्ट कानूनों के तहत दर्ज किया गया है,  जिसमें यह तर्क दिया गया है कि Google और Apple के बीच यह समझौता प्रतिस्पर्धा विरोधी है। DOJ का दावा है कि यह डील सर्च इंजन मार्केट पर Google की एकाधिकार स्थिति को और मजबूत करती है, जिससे अन्य प्रतिस्पर्धी सर्च इंजन (जैसे Bing, DuckDuckGo) को बाज़ार में पांव जमाने का मौका नहीं मिल

टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री पर प्रभाव

अगर यह डील समाप्त हो जाती है, तो इसका सीधा प्रभाव Apple और Google दोनों पर पड़ेगाApple को हर साल $24 बिलियन का नुकसान हो सकता है, जो कंपनी की कुल आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके साथ ही, Apple को एक नया सर्च इंजन विकल्प तलाशना पड़ेगा, या फिर उसे खुद का सर्च इंजन विकसित करना होगा।

Google को सर्च इंजन की डिफॉल्ट स्थिति खोने से अपने उपयोगकर्ताओं में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसकी बाज़ार हिस्सेदारी पर भी असर पड़ सकता है।

 Microsoft को हो सकता है फायदा

अगर यह साझेदारी समाप्त होती है, तो इससे Microsoft के सर्च इंजन Bing को लाभ हो सकता है, क्योंकि वह Apple के उपकरणों में डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए प्रमुख उम्मीदवार हो सकता है। क्योंकि वह Apple के उपकरणों में डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए प्रमुख उम्मीदवार हो सकता है। साथ ही, Apple अपनी रणनीति में AI इंटिग्रेशन पर भी जोर दे सकता है, जिससे सर्च और डेटा रिकॉल में सुधार हो सके।

आने वाले समय में क्या हो सकता है?

Google के खिलाफ वर्तमान और भविष्य की कानूनी लड़ाईयाँ उसकी कार्यप्रणाली पर बड़े प्रभाव डाल सकती हैं। विभिन्न देशों के कानूनी और रेगुलेटरी फैसले से यह साफ़ है कि टेक कंपनियों की मोनोपोली को चुनौती देने के प्रयास जारी हैं। अगर Google को और अधिक विरोध का सामना करना पड़ा, तो यह संभव है कि कंपनी को अपने व्यवसाय मॉडल में बड़े बदलाव करने पड़ेगे और  Apple के लिए यह जरूरी हो जाएगा कि वह DOJ के फैसले के बाद अपने सर्च इंजन सिस्टम को नए सिरे से तैयार करे। Google के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि उसे नए डिवाइसेस और प्लेटफार्म्स पर अपना सर्च इंजन प्रचलित रखने के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी।

अगर कोर्ट का फैसला Apple और Google के खिलाफ जाता है, तो यह डील समाप्त हो सकती है, जिससे Apple को हर साल $24 बिलियन का नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही, यह टेक्नोलॉजी सेक्टर में बड़े बदलाव का संकेत भी हो सकता है, क्योंकि Apple को नए सर्च इंजन विकल्पों पर विचार करना पड़ेगा।

 

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