Manufacturing: भारत में अनुबंध विनिर्माण में आई तेजी; मैक्वेरी इक्विटी रिसर्च के मुताबिक 2028 तक 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा बाजार मूल्य

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मैक्वेरी इक्विटी रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अनुबंध अनुसंधान, विकास और विनिर्माण संगठन (सीआरडीएमओ) उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि का अनुमान हैं। 

बिजनेस न्यूज़: मैक्वेरी इक्विटी रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अनुबंध अनुसंधान, विकास और विनिर्माण संगठन (सीआरडीएमओ) उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस उद्योग का बाजार मूल्य 2028 तक लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो इसके वर्तमान आकार 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुना हैं।

इस वृद्धि का प्रमुख कारण फार्मास्यूटिकल आउटसोर्सिंग में बढ़ोतरी और अनुकूल विनियामक स्थितियाँ हैं। इन दोनों पहलुओं के कारण सीआरडीएमओ क्षेत्र में 14 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) बनाए रखने की उम्मीद है। इस विकास के साथ भारत फार्मास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य देखभाल उद्योग में एक प्रमुख वैश्विक हब के रूप में उभरने की संभावना है, जो कि वैश्विक कंपनियों द्वारा अनुसंधान, विकास और उत्पादन गतिविधियों के लिए एक प्रमुख आउटसोर्सिंग गंतव्य बन सकता हैं।

सीआरडीएमओ उद्योग का बाजार मूल्य 2030 तक होगा 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर

विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि विनियामक पहल, खासकर अमेरिकी बायोसिक्योर अधिनियम, भारत के अनुबंध अनुसंधान, विकास और विनिर्माण संगठन (सीआरडीएमओ) उद्योग में विकास की गति को और तेज कर सकती हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सीआरडीएमओ उद्योग का बाजार मूल्य 2030 तक 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है, जो एक महत्वपूर्ण वृद्धि है। यह वृद्धि विशेष रूप से उस समय हो रही है जब वैश्विक दवा कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के प्रयासों में हैं और वे चीनी विनिर्माण पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही हैं।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र का फार्मास्यूटिकल सीडीएमओ क्षेत्र 2023 में 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का होने का अनुमान है, और भारत इस क्षेत्र में एक आकर्षक विकल्प के रूप में उभर रहा है। भारत सीआरडीएमओ के लिए एक प्रतिस्पर्धी गंतव्य बन रहा है क्योंकि वह पश्चिमी देशों के मुकाबले 30-40% कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाएं प्रदान करता है। इसके अलावा, भारत ने यूएसएफडीए और ईएमए जैसी प्रमुख विनियामक एजेंसियों से अनुमोदन प्राप्त किया है, जो इसकी उच्च विनियामक अनुपालन क्षमताओं को प्रमाणित करता हैं।

मैक्वेरी इक्विटी रिसर्च के मुताबिक

भारत का सीआरडीएमओ क्षेत्र वैश्विक दवा आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है, विशेष रूप से सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई), अत्यधिक शक्तिशाली एपीआई (एचपीएपीआई), और विशिष्ट रसायनों में इसकी विशेषज्ञता के कारण। इसके अलावा, वैश्विक दवा मूल्य निर्धारण दबाव, भू-राजनीतिक विचार और फार्मास्यूटिकल आउटसोर्सिंग की ओर बढ़ती प्रवृत्ति के कारण इस क्षेत्र में और वृद्धि होने की उम्मीद हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीआरडीएमओ अपने मजबूत विनियामक ट्रैक रिकॉर्ड, लागत लाभ और बढ़ती वैश्विक मांग का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं। इन अनुकूल बाजार स्थितियों का पूरा फायदा उठाते हुए, भारत का सीआरडीएमओ क्षेत्र आने वाले वर्षों में निरंतर विस्तार के लिए तैयार दिखाई देता हैं।

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