सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच को लेकर एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, माधबी बुच अपना शेष कार्यकाल पूरा करेंगी। वह मार्च तक सेबी के प्रमुख पद पर बनी रहेंगी।
New Delhi: सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच के बारे में एक बड़ी खबर सामने आई है। पिछले संसद सत्र के दौरान उनका नाम काफी चर्चा में रहा था। कांग्रेस ने उन पर, उनके परिवार पर और भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इसके साथ ही आरोप लगाया गया था कि सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच अपने पद का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि, इनके खिलाफ अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
जानकारी के अनुसार, माधबी बुच अपने शेष कार्यकाल को पूरा करेंगी। वे मार्च तक SEBI की प्रमुख के पद पर बनी रहेंगी।
क्या लगे थे गंभीर आरोप
आरोप 1
सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने REIT को बढ़ावा दिया, जिससे ब्लैकस्टोन को लाभ हुआ, और इसके परिणामस्वरूप उनके पति को भी फायदा हुआ, क्योंकि वे ब्लैकस्टोन से जुड़े हैं। कांग्रेस द्वारा माधबी बुच के खिलाफ उठाए गए मुख्य बिंदुओं में से एक यह था कि उन्होंने ब्लैकस्टोन को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से REIT के लिए जोर दिया, क्योंकि उनके पति इस कंपनी से जुड़े हुए हैं।
विपक्ष ने उन पर आरोप लगाया कि वह SEBI अध्यक्ष के रूप में अपने पद का दुरुपयोग कर रही हैं। REIT का विचार सबसे पहले 2007 (UPA काल) में सामने आया था और कई वर्षों के बाद, 2016 में SEBI ने इसके लिए निर्देश जारी किए। माधबी बुच ने 1 मार्च, 2022 को अजय त्यागी से पदभार संभालने के बाद SEBI की अध्यक्षता ग्रहण की। SEBI के कार्यों में व्यापक बदलाव लाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है, और ये परिवर्तन न केवल ब्लैकस्टोन को, बल्कि भारत में काम कर रही कई वैश्विक कंपनियों को भी प्रभावित कर चुके हैं। सरकारी सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया है कि ये आरोप निराधार हैं और उनके नाम पर सिर्फ राजनीतिक खेल चल रहा है।
आरोप 2
सेबी चेयरपर्सन पर दूसरा गंभीर आरोप लगा था कि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल से प्राप्त धनराशि का खुलासा नहीं किया। ICICI में अपने पूर्व कार्यकाल से उन्हें जो राशि मिली, उसका खुलासा नहीं किया गया। सरकार ने इन आरोपों की जांच की है और कोई भी लेन-देन अवैध नहीं पाया गया है; उन्होंने अपना सारा बकाया चुका दिया है। ICICI बैंक ने स्पष्ट किया कि अक्टूबर 2013 में रिटायरमेंट के बाद उन्हें कोई वेतन या ESOP नहीं दिया गया, बल्कि केवल रिटायरमेंट प्रॉफिट प्रदान किया गया, जैसा कि अन्य सभी को उस पद पर दिया जाता है।
बुच ने प्राइवेट सेक्टर के कर्जदाता के साथ 12 वर्षों तक काम किया और बाद में 2011 में समूह छोड़ने से पहले 2 वर्षों तक ICICI सिक्योरिटीज के CEO के रूप में कार्य किया। सिर्फ बुच को ही ICICI से रिटायरमेंट के बाद राशि का भुगतान नहीं किया गया, बल्कि सभी शीर्ष बैंकों के शीर्ष प्रबंधकों को सेवानिवृत्ति लाभ दिया जाता है। यह सिर्फ एक व्यक्ति को गलत तरीके से धन देने का मामला नहीं था।
आरोप 3
सेबी में काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा वित्त मंत्रालय को भेजे गए पत्रों ने बुच के लिए एक नया मोर्चा खोल दिया है। इसके परिणामस्वरूप न केवल बाजार नियामक के भीतर, बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी असंतोष का माहौल बन गया है। कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को शिकायत की थी कि नेतृत्व के तहत कार्य संस्कृति बहुत ही खराब है। सरकार ने इस पर ध्यान दिया और कर्मचारियों के साथ बातचीत की।
कर्मचारियों का आरोप है कि वे उन पर चिल्लाते हैं। सरकार का मानना है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने सिस्टम को सुधारने के लिए काफी प्रयास किए हैं और कई लोग इस सुधार से संतुष्ट नहीं हैं। सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि माधवी पुरी बुच अपना कार्यकाल पूरा करेंगी, जो 28 फरवरी, 2025 को समाप्त होगा।