रत पर फिलहाल ट्रैरिफ का असर नहीं हुआ है, लेकिन डॉलर इंडेक्स 109.6 से ऊपर बढ़ने पर एफआईआई की बिकवाली बढ़ सकती है, जो भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकती है।
Share Market Fall: सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में एक तगड़ी गिरावट देखी जा रही है, जो मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ निर्णय, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और एफआईआई की बिकवाली के कारण आई है। बजट पेश होने के बाद पहले ट्रेडिंग सेशन में ही भारतीय शेयर बाजार गिरावट की चपेट में आ गया है।
ट्रम्प के टैरिफ फैसले से बढ़ी निवेशकों की चिंता
ट्रम्प द्वारा कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने के निर्णय ने निवेशकों को घबराया और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना दिया। इस कदम ने भारतीय बाजार समेत अन्य वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया, जिससे एशियाई बाजारों से नकारात्मक संकेत मिले। भारतीय शेयर बाजार में इस गिरावट का प्रभाव बीएसई पर भी पड़ा, जहां सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 4.63 लाख करोड़ रुपये घटकर 419.21 लाख करोड़ रुपये हो गया।
अमेरिकी डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई से बढ़ी चिंताएं
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर हुआ और यह 87 रुपये प्रति डॉलर के पार चला गया। अमेरिकी डॉलर की ताकत ने एफआईआई के लिए भारत समेत अन्य उभरते बाजारों में बिकवाली को बढ़ा दिया है। यदि डॉलर इंडेक्स 109.6 के ऊपर बढ़ता है, तो एफआईआई की बिकवाली और तेज हो सकती है, जिससे भारतीय बाजार पर और दबाव पड़ सकता है।
अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी का असर
अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में 3.6 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई और यह 4.274% तक पहुंच गई। इससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ी कि ट्रम्प के टैरिफ फैसले अमेरिकी महंगाई को बढ़ा सकते हैं और ब्याज दरों में कटौती की संभावना को और दूर कर सकते हैं। इसका नकारात्मक असर उभरते बाजारों जैसे भारत पर पड़ा है, क्योंकि यह देशों की मुद्रा की अवमूल्यन और उधारी की लागत को बढ़ा सकता है।
एफआईआई की बिकवाली से बाजार में और दबाव
एफआईआई का बाजार में बिकवाली का सिलसिला जारी है। सोमवार के बाजार में भी एफआईआई के आंकड़े सामने आएंगे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में जो डेटा सामने आया है, उससे पता चलता है कि एफआईआई ने बजट डे पर 1,327.09 करोड़ रुपये की बिक्री की है। इस बिकवाली का असर भारतीय शेयर बाजार पर साफ देखा जा रहा है।
तेल की कीमतों में उछाल से तेल आपूर्ति में अनिश्चितता
अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के कारण तेल की कीमतों में तेजी आई है, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति के व्यवधान की संभावना पैदा हुई है। हालांकि, ईंधन की कम मांग की संभावना ने इस उछाल को सीमित किया है। अमेरिकी WTI क्रूड वायदा 73.97 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है, जबकि ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 76.29 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।