अन्नपूर्णा जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से देवी अन्नपूर्णा की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में समृद्धि, संतोष और अन्न की कमी नहीं होती है। अन्नपूर्णा देवी को अन्न और भोजन की देवी माना जाता है, और उनकी पूजा का उद्देश्य जीवन में पोषण और समृद्धि की प्राप्ति हैं।
अन्नपूर्णा जयंती भारतीय हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से अन्न, भोजन और समृद्धि से जोड़कर मनाया जाता है। इस दिन को खास तौर पर देवी अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है, जो अन्न (भोजन) और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। अन्नपूर्णा जयंती आज, 15 दिसंबर, 2024 को मनाई जाएगी, और यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कृषि, अन्न और भोजन से जुड़े कार्यों में लगे हैं। देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद पाने के लिए लोग इस दिन पूजा करते हैं, ताकि वे जीवन में संतोष, समृद्धि और पोषण पा सकें। इस दिन का उद्देश्य भोजन की महत्वता को स्वीकारना और देवी अन्नपूर्णा से घर में अन्न की बरकत की प्रार्थना करना हैं।
अन्नपूर्णा जयंती का महत्व
अन्नपूर्णा देवी को अन्न और पोषण का प्रदानकर्ता माना जाता है। उनका रूप अत्यंत सौम्य और मातृवत होता है, जिसमें वे अपने भक्तों को कटोरी और चम्मच के माध्यम से भोजन और समृद्धि देती हैं। इस दिन पूजा का मुख्य उद्देश्य देवी अन्नपूर्णा से समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों की प्राप्ति है। अन्नपूर्णा जयंती का त्योहार यह याद दिलाता है कि हमें भोजन का सम्मान करना चाहिए और उसका अपव्यय नहीं करना चाहिए। यह दिन उन लोगों के लिए खास है जो कृषि और अन्न से जुड़े कार्यों में हैं, क्योंकि देवी अन्नपूर्णा को कृषि और अन्न के सभी पहलुओं की देखभाल करने वाली देवी माना जाता हैं।
अन्नपूर्णा जयंती के रीति-रिवाज
अन्नपूर्णा जयंती के दिन किसानों द्वारा अपनी फसलों की पूजा की जाती है। वे देवी अन्नपूर्णा से अच्छे मौसम और समृद्ध फसल की प्रार्थना करते हैं। यह समय किसानों के लिए बहुत अहम होता है, क्योंकि उन्हें अपनी मेहनत का सही फल मिलता हैं।
· रसोई को इस दिन विशेष रूप से साफ किया जाता है, क्योंकि रसोई को देवी अन्नपूर्णा का स्थान माना जाता है। घर के हर कोने को शुद्ध करने के लिए गंगाजल से रसोई की सफाई की जाती है, ताकि घर में समृद्धि और खुशहाली आए।
· मां अन्नपूर्णा को इस दिन 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। अगर यह संभव न हो तो फल, मिष्ठान, रायता, चावल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग अर्पित करें। इस दिन का मुख्य आकर्षण यह होता है कि भक्त अन्नपूर्णा देवी को अन्न और खाने के विभिन्न प्रकार के पदार्थ अर्पित करते हैं, ताकि उनके आशीर्वाद से घर में अन्न का भंडार कभी खाली न हो।
· चूल्हे की पूजा भी इस दिन की एक प्रमुख परंपरा है। चूल्हे पर कुमकुम, चावल और फूल चढ़ाए जाते हैं, और दीपक जलाकर मां अन्नपूर्णा से अन्न और धन में वृद्धि की कामना की जाती है। इसके बाद जो पहली रोटी बनती है, उसे गाय को खिलाएं, दूसरी रोटी कुत्ते को और तीसरी रोटी कौए को खिलाएं।
· दान का महत्व भी इस दिन बहुत अधिक होता है। जितनी सामर्थ्य हो, उतना अन्न का दान जरूर करें। खासकर जरूरतमंदों को भोजन और अन्न दान करना पुण्य का काम माना जाता है। यह परंपरा हमारे समाज को एकजुट रखने और दूसरों की मदद करने की प्रेरणा देती हैं।
अन्नपूर्णा जयंती पूजा विधि
· अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर और मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
· घर में एक चौकी पर मां अन्नपूर्णा की मूर्ति स्थापित करें। पूजा में कुमकुम, हल्दी, अक्षत, नैवेद्य और तुलसी पत्र अर्पित करें। फिर सिंदूर, कुमकुम और चंदन से उनका तिलक करें। इस दिन खीर, पूड़ी, हलवा, सब्जी और फलों का भोग अर्पित करना चाहिए।
· पूजा के दौरान "ॐ अन्नपूर्णे सर्वस्वम्" जैसे मंत्रों का जाप करें। इस जाप से देवी अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता हैं।
· पूजा के बाद घर में दीप जलाएं और आरती करें। दीप जलाने की परंपरा से घर में उजाला और समृद्धि का संचार होता हैं।
· कुछ लोग इस दिन उपवासी रहते हैं और देवी अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं। उपवासी रहते हुए अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से आशीर्वाद मिलता हैं।
अन्नपूर्णा जयंती 2024 शुभ मुहूर्त
इस साल अन्नपूर्णा जयंती 15 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर को शाम 4:58 बजे प्रारंभ होगी और 15 दिसंबर को दोपहर 2:31 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार अन्नपूर्णा जयंती का पर्व 15 दिसंबर को मनाया जाएगा।
अन्नपूर्णा जयंती हमें यह सिखाती है कि भोजन का महत्व समझकर हमें उसे संतोष से ग्रहण करना चाहिए। देवी अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से घर में समृद्धि आती है और जीवन के सभी कठिन समय दूर हो जाते हैं। इस दिन अपनाए गए रीति-रिवाज और पूजा विधि से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की वृद्धि होती हैं।