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शादी में दुल्हन क्यों पहनती है लाल जोड़ा? जानें इस परंपरा के पीछे के धार्मिक और सांस्कृतिक कारण

शादी में दुल्हन क्यों पहनती है लाल जोड़ा? जानें इस परंपरा के पीछे के धार्मिक और सांस्कृतिक कारण

भारतीय शादियों में दुल्हन को लाल रंग का जोड़ा पहनाना एक पारंपरिक रिवाज है, जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक महत्व है। यद्यपि आजकल अन्य रंगों का भी प्रयोग बढ़ा है, लेकिन लाल रंग को अब भी शुभता, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह परंपरा न केवल सौंदर्य से जुड़ी है, बल्कि इसके पीछे गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कारण छिपे हैं।

लाल रंग का धार्मिक महत्व

भारत में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है और इसकी हर परंपरा का एक विशेष अर्थ होता है। दुल्हन द्वारा लाल जोड़ा पहनने की परंपरा का सबसे प्रमुख कारण धार्मिक मान्यता है। हिंदू धर्म में लाल रंग को अत्यंत शुभ माना गया है। यह रंग ऊर्जा, शक्ति, प्रेम, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, विवाह जैसे मांगलिक अवसर पर लाल रंग सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है और बुरे प्रभावों से रक्षा करता है। यह रंग नई शुरुआत और भविष्य की समृद्धि का संकेतक भी माना जाता है।

माता लक्ष्मी से जुड़ाव

लाल रंग का संबंध माता लक्ष्मी से भी जोड़ा जाता है, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। सनातन धर्म के अनुसार, विवाह के बाद स्त्री को घर की लक्ष्मी कहा जाता है। ऐसे में लाल रंग की पोशाक पहनाना इस मान्यता को दर्शाता है कि नवविवाहिता घर में समृद्धि और सौभाग्य लेकर आती है।

पुराणों में उल्लेख है कि लक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों में विशेषकर धन लक्ष्मी को लाल वस्त्रों में दर्शाया गया है। इस कारण, विवाह के समय दुल्हन को लाल जोड़ा पहनाना एक प्रतीकात्मक परंपरा मानी जाती है।

मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहलू

धार्मिक मान्यताओं के अतिरिक्त, लाल रंग के चयन के पीछे कुछ मनोवैज्ञानिक कारण भी माने जाते हैं। मनोविज्ञान के अनुसार, लाल रंग ध्यान आकर्षित करता है और इसे आत्मविश्वास, प्रेम और साहस से जोड़कर देखा जाता है। यही कारण है कि विवाह जैसे विशेष अवसर पर लाल रंग को प्राथमिकता दी जाती है।

इसके अतिरिक्त, लाल रंग सांस्कृतिक रूप से भी विवाह समारोहों का केंद्र बिंदु रहा है। भारतीय परंपरा में यह रंग विवाह के अलावा करवा चौथ, तीज, और अन्य मांगलिक अवसरों पर भी महिलाओं द्वारा पहना जाता है।

बदलती पसंद में भी बरकरार परंपरा

हाल के वर्षों में दुल्हनों द्वारा गुलाबी, नीला, हरा और सुनहरा जैसे रंगों का चयन भी किया जा रहा है। फैशन और व्यक्तिगत पसंद के चलते इन रंगों की लोकप्रियता बढ़ी है। फिर भी, लाल रंग का पारंपरिक महत्व कम नहीं हुआ है।

वेडिंग स्टाइलिस्ट और डिजाइनर मानते हैं कि “लाल रंग अब भी सबसे अधिक मांग में है क्योंकि यह परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाता है।” अधिकांश दुल्हनें आज भी विवाह के मुख्य समारोहों के लिए लाल रंग को प्राथमिकता देती हैं।

भारतीय विवाह में दुल्हन द्वारा लाल जोड़ा पहनना सिर्फ एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि धार्मिक विश्वास, मानसिक ऊर्जा और सौंदर्य का संयोजन है। यह रंग विवाह के उद्देश्य, भावना और प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाता है। बदलते समय में भले ही रंगों की विविधता बढ़ रही हो, लेकिन लाल रंग आज भी भारतीय विवाह की आत्मा बना हुआ है। इसे समझकर अपनाना इस अनूठी परंपरा को सम्मान देने जैसा है।

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