Bhishma Ashtami 2025: पुण्य की बारिश, भद्रावास समेत 6 शुभ संयोग, भीष्म अष्टमी पर मिलेगा दोगुना फल, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व 

Bhishma Ashtami 2025: पुण्य की बारिश, भद्रावास समेत 6 शुभ संयोग, भीष्म अष्टमी पर मिलेगा दोगुना फल, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व 
अंतिम अपडेट: 6 घंटा पहले

Bhishma Ashtami: भीष्म अष्टमी हिंदू धर्म में एक विशेष दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत के महान योद्धा और गंगापुत्र भीष्म पितामह ने माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही अपनी देह का त्याग किया था। इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध करने की परंपरा है, जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती हैं।

सनातन धर्म में माघ महीने का विशेष महत्व होता है। इस महीने में गंगा स्नान, दान और व्रत का पुण्य माना जाता है। इसी महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह ने देह का त्याग किया था। इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।

गुप्त नवरात्र और भीष्म अष्टमी का संयोग

गुप्त नवरात्र भी माघ मास में मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार भीष्म अष्टमी के दिन गुप्त नवरात्र का प्रभाव भी रहेगा, जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ जाएगा।

भीष्म अष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त और तिथि

•    अष्टमी तिथि प्रारंभ: 05 फरवरी 2025, देर रात 02:30 बजे
•    अष्टमी तिथि समाप्त: 06 फरवरी 2025, देर रात 12:35 बजे
•    एकोदिष्ट श्राद्ध का समय: 05 फरवरी, सुबह 11:30 बजे से दोपहर 01:41 बजे तक

भीष्म अष्टमी के शुभ योग

1. शुक्ल योग

•    यह योग 05 फरवरी की रात 09:19 बजे तक रहेगा। इसके बाद ब्रह्म योग आरंभ होगा।
•    शुक्ल योग में किए गए शुभ कार्यों का विशेष फल प्राप्त होता है।

2. ब्रह्म योग

•    शुक्ल योग समाप्त होने के बाद ब्रह्म योग शुरू होगा।
•    ज्योतिष में ब्रह्म योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किया गया कोई भी कार्य दीर्घकालिक सफलता दिलाता हैं।

3. सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग

•    आरंभ: 05 फरवरी, शाम 08:33 बजे
•    समाप्ति: 06 फरवरी, सुबह 07:06 बजे
•    ये दोनों योग सिद्धि प्राप्ति के लिए उत्तम माने जाते हैं।

4. भद्रावास योग

•    इस दिन भद्रा दोपहर 01:31 बजे तक स्वर्ग में रहेगी।
•    यह योग धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ होता है।

भीष्म अष्टमी पर पूजा विधि

•    प्रातः काल स्नान कर पितरों के निमित्त तर्पण करें।
•    भगवान विष्णु और भीष्म पितामह की प्रतिमा का पूजन करें।
•    मां बगलामुखी के निमित्त विशेष पूजा करें।
•    गीता पाठ और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
•    जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें।
•    पवित्र नदी में स्नान कर तिल और जल अर्पित करें।

भीष्म अष्टमी पर पंचांग

•    सूर्योदय: सुबह 07:07 बजे
•    सूर्यास्त: शाम 06:04 बजे
•    चंद्रोदयन: सुबह 11:20 बजे
•    चंद्रास्त: देर रात 01:30 बजे
•    ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:22 बजे से 06:15 बजे तक
•    विजय मुहूर्त: दोपहर 02:25 बजे से 03:09 बजे तक
•    गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:01 बजे से 06:27 बजे तक
•    निशिता मुहूर्त: रात 12:09 बजे से 01:01 बजे तक

भीष्म अष्टमी 2025 एक विशेष अवसर है, जिसमें पुण्य प्राप्ति के लिए अनेक शुभ संयोग बन रहे हैं। यह दिन गुप्त नवरात्र की अष्टमी तिथि होने के कारण और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दिन विशेष रूप से भीष्म पितामह का स्मरण किया जाता है और पितरों के लिए तर्पण करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, मां बगलामुखी की आराधना से समस्त बाधाएं दूर होती हैं। इस पावन तिथि का लाभ उठाकर धर्म-कर्म के कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

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