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हनुमान जयंती 2025: शनि देव को सबक और सहारा देने वाले संकटमोचन की अद्भुत कथाएं

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इस बार हनुमान जयंती 12 अप्रैल को शनिवार के दिन मनाई जा रही है, जो एक दुर्लभ संयोग है। एक ओर यह दिन भगवान हनुमान के प्राकट्य का उत्सव है, वहीं दूसरी ओर यह दिन न्याय के देवता शनि को भी समर्पित होता है। ऐसे में यह संयोग पौराणिक दृष्टिकोण से भी खास महत्व रखता है क्योंकि शनि देव और हनुमान जी के बीच की दो रोचक और शिक्षाप्रद कथाएं इस दिन को और भी विशेष बना देती हैं।

जब हनुमान जी ने शनि देव को किया विनम्र

प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार शनि देव को अपनी शक्तियों पर अत्यधिक गर्व हो गया था। उन्हें विश्वास था कि उनके वक्र दृष्टि के प्रभाव से कोई नहीं बच सकता। लेकिन जब उन्होंने ध्यानस्थ हनुमान जी पर अपनी दृष्टि डाली, तो उनका सारा अहंकार चकनाचूर हो गया। हनुमान जी पर शनि की दृष्टि का कोई असर नहीं हुआ, जिससे शनि देव क्रोधित हो उठे और हनुमान जी का ध्यान भंग करने लगे। जब उन्होंने हनुमान जी की भुजा पकड़ने की कोशिश की, तो हनुमान जी ने उन्हें अपनी पूंछ में लपेटकर खूब घुमाया और अंततः शांति से ध्यान में लीन हो गए।

अपनी हार और चोटों से व्यथित शनि देव ने हनुमान जी से क्षमा याचना की और वचन दिया कि वे न केवल हनुमान जी बल्कि उनके भक्तों को भी कभी कष्ट नहीं देंगे। तब से मान्यता है कि हनुमान जी के भक्तों पर शनि की कुदृष्टि नहीं पड़ती।

जब हनुमान बने शनि देव के रक्षक

एक अन्य कथा के अनुसार, जब रावण ने नवग्रहों को बंदी बना लिया था, तो उसने शनि देव को उल्टा लटका दिया था। उस समय हनुमान जी लंका में सीता माता की खोज में पहुंचे और लंका दहन कर दिया। नवग्रहों को रावण के बंदीगृह से बाहर निकलने का अवसर मिला, परंतु उल्टे लटके शनि देव बाहर नहीं आ पाए। तब हनुमान जी ने उनकी करुण पुकार सुनी और उन्हें मुक्त कर दिया।

हनुमान जी ने न केवल उन्हें रावण की कैद से मुक्त किया, बल्कि उनके झुलसे शरीर पर सरसों का तेल भी लगाया जिससे उन्हें राहत मिली। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों की पीड़ा हरते हैं।

शनि की दृष्टि से बचाते हैं हनुमान

पौराणिक मान्यता के अनुसार, हनुमान जी की आराधना करने वाले भक्तों पर शनि की दशा या साढ़े साती का प्रभाव न्यून हो जाता है। यही कारण है कि हनुमान जी को “शनि पीड़ा निवारक” भी कहा जाता है। हनुमान जयंती और शनिवार का मेल इस बार उनके भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जा रहा है।

उपसंहार

हनुमान जयंती न केवल उनके जन्म का उत्सव है, बल्कि यह उन अनगिनत कारणों की याद दिलाती है जिनके कारण हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। इस दिन हनुमान जी की भक्ति के साथ-साथ शनि देव की कृपा प्राप्त करने का भी विशेष अवसर होता है। सरसों के तेल का दान, सुंदरकांड का पाठ और श्रीराम नाम का जाप—इन साधनों से इस विशेष दिन को और भी शुभ बना सकते हैं।

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