Satyanarayan Puja: सत्यनारायण पूजा के अद्भुत फायदें स्कंद पुराण में वर्णित कथा से प्राप्त करें अपार पुण्य

Satyanarayan Puja: सत्यनारायण पूजा के अद्भुत फायदें स्कंद पुराण में वर्णित कथा से प्राप्त करें अपार पुण्य
Last Updated: 29 सितंबर 2024

हिंदू धर्म में भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा को विशेष महत्व दिया जाता है। यह आमतौर पर मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या नामकरण के समय आयोजित की जाती है। माना जाता है कि इस कथा का श्रवण करने से साधक के जीवन में सुख और समृद्धि का प्रवास होता है।

नई दिल्ली: भगवान सत्यनारायण, जो कि भगवान विष्णु का एक स्वरूप हैं, की पूजा का वास्तविक अर्थ 'सत्य का नारायण के रूप' में पूजन करना है। सत्यनारायण की कथा न केवल श्रद्धा भाव उत्पन्न करती है, बल्कि व्यक्ति को कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं भी प्रदान करती है। आइए जानते हैं कि भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करने से व्यक्ति को क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं।

सत्यनारायण कथा का महत्व: आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू

स्कंद पुराण में भगवान सत्यनारायण की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है, जहां भगवान विष्णु ने नारद को सत्यनारायण व्रत का महत्व बताया। मान्यता है कि जो भक्त सत्य को ईश्वर मानते हुए निष्ठा से इस व्रत कथा का श्रवण करते हैं, उन्हें उनके मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।

इस पुराण में कहा गया है कि सत्यनारायण की कथा सुनने से व्यक्ति को हजारों वर्षों तक किए गए यज्ञों के बराबर फल मिलता है। इसके साथ ही, इस कथा का पाठ करने से साधक के जीवन की परेशानियों का निवारण हो सकता है और यह पूजा नकारात्मक शक्तियों से भी सुरक्षा प्रदान करती है।

सत्यनारायण पूजा के नियम

किसी भी महीने की एकादशी, पूर्णिमा या गुरुवार के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा को महिलाएं और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। यह भी कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति सत्यनारायण की कथा का आयोजन करता है तो उसे अधिक  लोगों को कथा में आमंत्रित करना चाहिए।

सत्यनारायण व्रत पूजन की विधि

सत्यनारायण व्रत के अवसर पर पूरे दिन उपवास रखना आवश्यक है। प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर सत्यनारायण भगवान की तस्वीर को स्थापित करें। चौकी के समीप एक कलश भी रखें।

इसके बाद पंडित को बुलाकर सत्यनारायण की कथा श्रवण करें। भगवान को चरणामृत, पान, तिल, रोली, कुमकुम, फल, फूल, सुपारी और दुर्वा आदि अर्पित करें। कथा में परिवार के साथ-साथ अन्य भक्तों को भी शामिल करें। अंत में सभी लोगों में कथा का प्रसाद बांटें।

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