हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, और आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की भलाई के लिए व्रत रखती हैं, ताकि उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे। शरद पूर्णिमा की रात, चंद्रमा की रोशनी में कई खास उपाय किए जा सकते हैं, जो मां लक्ष्मी की कृपा को आकर्षित कर सकते हैं। इस दिन विशेष पूजा और व्रत का आयोजन करके लोग स्वास्थ्य, धन और खुशियों की प्रार्थना करते हैं। आइए जानते हैं कुछ विशेष उपाय जो इस दिन किए जा सकते हैं।
शरद पूर्णिमा का पर्व आश्विन माह में मनाया जाता है।
इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
यह दिन मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2024) का पर्व, जो आश्विन माह में आता है, न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन की विशेष रात में किए गए उपाय व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। मां लक्ष्मी की आराधना करते हुए, आप धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति पाने के साथ-साथ अपने सौभाग्य को भी बढ़ा सकते हैं। आइए, जानते हैं शरद पूर्णिमा पर किए जाने वाले कुछ विशेष उपाय।
पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त शरद पूर्णिमा के लिए इस प्रकार है:
चंद्रोदय: 16 अक्टूबर को शाम 05:05 बजे
निशिता काल: रात 11:42 बजे से 12:32 बजे तक
इन समय के दौरान विशेष पूजा और उपाय करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी: इस उपाय से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। खीर को चांदनी में रखने से उसकी ऊर्जा को आकर्षित किया जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने में मदद करती है। इसके साथ ही, मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है, जिससे धन और खुशहाली का संचार होता है।
इस मंत्र का जप करें
“ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः”
इसका जप करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। आप इस मंत्र का जप लक्ष्मी जी की मूर्ति या फोटो के समक्ष करें, इसके साथ ही घी के दीये जलाना भी लाभकारी होता है।
शांत वातावरण: जप करते समय एक शांत और साफ स्थान चुनें, जहां आप बिना किसी विघ्न के ध्यान लगा सकें।
सच्चे मन से करें: जप को मन से करें, श्रद्धा और विश्वास के साथ।
दीप जलाना: मंत्र का जप करने से पहले लक्ष्मी जी के सामने घी के दीये जलाएं। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अवधि: इसे कम से कम 11 माला या 108 बार जपने का प्रयास करें।
अर्पित करें: जप के बाद मां लक्ष्मी को फल, मिठाई या मखाने की खीर अर्पित करें।
खीर का भोग और लक्ष्मी जी के समक्ष दीप जलाना
1. खीर का भोग: शरद पूर्णिमा की रात, एक बर्तन में खीर बनाकर उसे चांदनी में रखें। इसे रातभर खुले आसमान में रखने के बाद, अगले दिन परिवार के साथ मिलकर इसका भोग लगाएं। यह विशेष उपाय मां लक्ष्मी की कृपा को आकर्षित करता है और सौभाग्य में वृद्धि करता है।
2. लक्ष्मी जी के समक्ष दीप जलाना: मां लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो के समक्ष 5 घी के दीये जलाएं। यह प्रकाश न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। इसके बाद, "ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः" मंत्र का जप करें। यह मंत्र लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने में सहायक होता है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ और विशेष पूजा सामग्री
1. कनकधारा स्तोत्र का पाठ: कनकधारा स्तोत्र, मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे शरद पूर्णिमा की रात विशेष रूप से पढ़ने का महत्व है। इसका पाठ करने से धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने की विधि:
स्वच्छ स्थान पर बैठें और मां लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो के सामने दीप जलाएं।
हाथों में पुष्प या चंदन लें और मन में श्रद्धा के साथ मां लक्ष्मी का स्मरण करें।
कनकधारा स्तोत्र का पाठ ध्यानपूर्वक करें।
2. विशेष पूजा सामग्री
दीये: 5 घी के दीये।
खीर: चंद्रमा की रात्रि में बनाई गई खीर।
फूल: ताजे फूल या कमल के फूल।
पान, सुपारी और फल: भोग अर्पित करने के लिए।
चंदन और अगरबत्ती: सुगंध के लिए।
कपड़ा: लाल या पीला कपड़ा, जिसे पूजा के लिए उपयोग किया जा सके।
नैवेद्य: मिठाई, फल, मखाना आदि।
परिवार के साथ मिलकर पूजा करने का महत्व
पूजा करने की विधि: सामग्री एकत्रित करें: सभी पूजा सामग्री, जैसे दीये, खीर, फूल, और फल एकत्र करें।
स्वच्छता का ध्यान रखें: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां साफ कपड़ा बिछाएं।
दीप जलाना: परिवार के सभी सदस्य मिलकर मां लक्ष्मी के समक्ष दीप जलाएं।
मंत्र जप: परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर लक्ष्मी मंत्र या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
खीर का भोग: पूजा के बाद खीर को एक साथ मिलकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और फिर परिवार के सभी सदस्य इसे मिलकर ग्रहण करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें, जिससे सभी सदस्यों में आनंद और सकारात्मकता का संचार हो।