शिव जी की आरती

शिव जी की आरती
Last Updated: 24 सितंबर 2024

ॐ जय शिव ओंकारा

 

स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,

अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

एकानन चतुरानन

पंचानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन

वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

दो भुज चार चतुर्भुज

दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते

त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

अक्षमाला वनमाला

मुण्डमाला धारी।

चंदन मृगमद सोहै

भाले शशिधारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

श्वेताम्बर पीताम्बर

बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक

भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

कर के मध्य कमंडल

चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी

जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव

जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर में शोभित

ये तीनों एका॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरती

जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी

सुख सम्पत्ति पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

लक्ष्मी व सावित्री

पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी

शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

पर्वत सोहें पार्वती

शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन

भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

जटा में गंग बहत है

गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत

ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

काशी में विराजे विश्वनाथ

नंदी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत

महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

 

ॐ जय शिव ओंकारा

स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,

अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा...॥

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