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Wednesday Astro Remedies: बुध ग्रह के 9 कमजोर लक्षण और उनके अचूक उपाय

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अगर आपके जीवन में निर्णय लेने में असमर्थता, संवाद में उलझन, या व्यापार में लगातार घाटा जैसी समस्याएं बनी हुई हैं, तो इसका कारण आपकी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति हो सकती है। ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि, वाणी, तर्क, शिक्षा और व्यापार का प्रमुख कारक माना गया है। इसे ग्रहों का राजकुमार भी कहा जाता है।

बुध ग्रह की कमजोर स्थिति से व्यक्ति की स्मरण शक्ति प्रभावित हो सकती है, निर्णय गलत हो सकते हैं और संप्रेषण कौशल में बाधा उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य बुधवार के दिन विशेष उपायों से बुध ग्रह को मज़बूत करने की सलाह देते हैं।

कमजोर बुध के 9 विशेष संकेत 

1. भूलने की आदत: याददाश्त कमजोर होना और पढ़ा हुआ जल्दी भूल जाना।
2. वाणी दोष: बोलने में अटकना, तुतलाना या गलत शब्दों का प्रयोग।
3. निर्णय क्षमता में कमी: बार-बार उलझन में रहना और गलत फैसले लेना।
4. अत्यधिक चिंता: मानसिक तनाव और अनावश्यक डर या आशंका रहना।
5. व्यापार में रुकावटें: विशेष रूप से संवाद और लेखन से जुड़े व्यवसाय में हानि।
6. त्वचा व तंत्रिका विकार: हाथ-पैर सुन्न होना या स्किन एलर्जी होना।
7. दूसरों से तालमेल की कमी: बातचीत में गलतफहमियां होना।
8. शैक्षणिक समस्याएं: पढ़ाई में मन न लगना या विषय न समझ पाना।
9. व्यक्तित्व में नीरसता: आत्मविश्वास की कमी और सामाजिक दूरी।

बुध ग्रह को मज़बूत करने के 7 प्रभावशाली उपाय

1. मंत्र जाप: बुधवार के दिन “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” या “ॐ गण गणपतये नमो नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
2. बुधवार का व्रत: हरे वस्त्र पहनें, हरे चने का सेवन करें और तुलसी की पूजा करें।
3. दान करें: हरे मूंग, हरी सब्जियां, हरी चूड़ियां और हरे वस्त्र का दान विशेष फलदायी होता है।
4. गणेशजी को दूर्वा और तुलसी अर्पित करें: बुध का संबंध गणेश से भी होता है।
5. पन्ना रत्न धारण करें: बुधवार को पन्ना रत्न चांदी या सोने की अंगूठी में छोटी उंगली में पहनें, परंतु पहले कुंडली का विश्लेषण अवश्य कराएं।
6. गौसेवा करें: बुधवार को हरा चारा खिलाएं। इससे बुध की कृपा मिलती है।
7. सत्य बोलें और विष्णु सहस्रनाम पढ़ें: झूठ, चुगली और नकारात्मक वाणी से दूर रहें। शुद्ध वाणी से बुध ग्रह शांत होता है।

बुध की महादशा का प्रभाव 

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध की महादशा प्रारंभ होती है, तो यह अवधि करीब 17 वर्षों की होती है। यदि बुध वक्री या नीच राशि (जैसे मीन) में हो, तो उसका प्रभाव अनुकूल नहीं रहता। लेकिन उचित उपायों से इसके दुष्प्रभावों को भी बदला जा सकता है। यदि आप उपरोक्त लक्षणों से परेशान हैं, तो किसी अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्य से अपनी कुंडली की जांच कराएं। 

बुध ग्रह से जुड़े सरल उपायों को अपनाकर आप अपनी वाणी, व्यापार और बुद्धि को बल दे सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब वाणी और विवेक शुद्ध होते हैं, तभी जीवन में सफलता का सूर्योदय होता है और इसका मार्ग बुध ग्रह से होकर ही जाता है।

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