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1 जून 2025 पंचांग: स्कंद षष्ठी के महायोग में बन रहे शुभ संयोग, जानें ग्रह स्थिति और शुभ-अशुभ मुहूर्त

1 जून 2025 पंचांग: स्कंद षष्ठी के महायोग में बन रहे शुभ संयोग, जानें ग्रह स्थिति और शुभ-अशुभ मुहूर्त
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हिंदू पंचांग के अनुसार 1 जून 2025, रविवार का दिन ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को समर्पित है, जिसे स्कंद षष्ठी व्रत के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित होता है और विशेषकर संतान सुख, रोग शांति और पारिवारिक समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन आकाशीय गणनाओं के अनुसार अश्लेषा नक्षत्र, वृद्धि योग, और रवि योग बन रहे हैं, जो सभी कार्यों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं। 

साथ ही इस दिन स्नान-दान और व्रत करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं आज का विस्तृत पंचांग, ग्रहों की स्थिति, शुभ मुहूर्त, राहुकाल और धार्मिक महत्व।

1 जून 2025 का दैनिक पंचांग

  • तिथि: षष्ठी तिथि (रात 8:15 बजे तक, इसके बाद सप्तमी)
  • वार: रविवार
  • नक्षत्र: अश्लेषा
  • योग: वृद्धि योग, रवि योग
  • सूर्योदय: सुबह 5:24 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 7:14 बजे
  • चंद्रोदय: सुबह 10:26 बजे
  • चंद्रोस्त: 2 जून को प्रात: 12:08 बजे
  • चंद्र राशि: कर्क
  • राहुकाल: शाम 5:31 से रात 7:15 तक (इस समय कोई शुभ कार्य न करें)
  • यमगण्ड काल: दोपहर 12:19 से 2:03 तक
  • गुलिक काल: दोपहर 3:47 से शाम 5:31 तक
  • आडल योग: रात 9:36 से 2 जून सुबह 5:23 तक
  • विडाल योग: रात 9:07 से 1 जून सुबह 5:24 तक

शुभ मुहूर्त और कार्य

आज का दिन नए कार्यों की शुरुआत, व्यापार, वाहन खरीद, सोना-चांदी निवेश, विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ है। रवि योग और वृद्धि योग के संयोग से यह दिन सफलता और उन्नति देने वाला है। विशेष रूप से स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की आराधना करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और परिवार में संतान सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

ग्रहों की स्थिति (Gochar)

  • सूर्य: वृषभ
  • चंद्रमा: कर्क
  • मंगल: कर्क
  • बुध: वृषभ
  • गुरु (बृहस्पति): मिथुन
  • शुक्र: मीन
  • शनि: मीन
  • राहु: कुंभ
  • केतु: सिंह

चंद्रमा और मंगल दोनों ही कर्क राशि में हैं, जिससे चंद्र-मंगल योग बन रहा है जो कार्यों में दृढ़ता और भावनात्मक शक्ति का संकेत देता है। वहीं शुक्र और शनि मीन राशि में स्थित हैं, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

स्कंद षष्ठी का विशेष महत्व

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की आराधना का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजन करने से व्यक्ति के जीवन से रोग-दुख समाप्त होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख के लिए किया जाता है। स्त्रियां संतान प्राप्ति के लिए इस दिन पूजा, उपवास और दान करती हैं। दक्षिण भारत में यह व्रत अधिक प्रचलित है, लेकिन अब उत्तर भारत में भी लोग इसे मानने लगे हैं।

क्या करें (Kya Kare)

  • ‘स्कंद षष्ठी कवचम’ या ‘श्री कार्तिकेय अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र’ का पाठ करें।
  • लाल पुष्प, नारियल, और गुड़ से भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
  • बच्चों और युवाओं को तिलक लगाकर आशीर्वाद दें।
  • जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें।
  • सूर्य को अर्घ्य दें और लाल वस्त्र धारण करें।

क्या न करें (Kya Nahi Kare)

  • काले कुत्तों को परेशान न करें, विशेष रूप से शनिवार के प्रभाव के कारण।
  • भोजन में अधिक लाल मिर्च का प्रयोग न करें, इससे उग्रता और मानसिक अशांति बढ़ सकती है।
  • वाद-विवाद से बचें, विशेष रूप से पारिवारिक मामलों में।
  • नकारात्मक विचारों और ईर्ष्या से दूरी बनाएं।

1 जून 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ है। रवि योग, वृद्धि योग और स्कंद षष्ठी व्रत का संगम इसे विशेष बनाता है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से इस दिन किए गए शुभ कार्य लंबे समय तक फलदायक होते हैं। ग्रहों की स्थिति भी आत्मबल और पारिवारिक उन्नति को समर्थन दे रही है।

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