6 जून 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष स्थान है और निर्जला एकादशी को समस्त एकादशियों में सर्वोपरि माना जाता है। इस बार यह व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, जो स्वभाव से स्वयं में शुभता लिए होता है। आइए, जानते हैं 6 जून 2025 के पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, ग्रहों की स्थिति और निर्जला एकादशी के महत्व से जुड़ी अन्य जानकारियां।
6 जून 2025 का पंचांग और वार
- तिथि: एकादशी (प्रातः 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून 2025 की सुबह 4:47 बजे तक)
- वार: शुक्रवार
- नक्षत्र: हस्त
- योग: व्यतीपात, रवि योग
- सूर्योदय: सुबह 5:24 बजे
- सूर्यास्त: शाम 7:14 बजे
- चंद्र उदय: दोपहर 3:01 बजे
- चंद्रास्त: प्रातः 2:27 बजे
- चंद्र राशि: कन्या
राहुकाल, यमगण्ड काल और अन्य काल
- राहुकाल: सुबह 10:36 से दोपहर 12:20 तक – इस समय शुभ कार्य टालें।
- यमगण्ड काल: दोपहर 3:48 से शाम 5:33 तक।
- गुलिक काल: सुबह 7:07 से 8:51 तक।
- विडाल योग: सुबह 5:23 से 6:34 तक।
- राहुकाल, यमगण्ड काल, और गुलिक काल को दिन के अशुभ काल के रूप में माना जाता है, जब शुभ कार्यों का आरंभ करने से बचना चाहिए।
ग्रहों की स्थिति
6 जून को ग्रहों की स्थिति भी खास है जो दिन के शुभ-अशुभ प्रभाव को दर्शाती है:
- सूर्य: वृषभ राशि में
- चंद्र: कन्या राशि में
- मंगल: कर्क राशि में
- बुध: वृषभ राशि में
- गुरु: मिथुन राशि में
- शुक्र: मीन राशि में
- शनि: मीन राशि में
- राहु: कुंभ राशि में
- केतु: सिंह राशि में
निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व
निर्जला एकादशी को 24 एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन व्रत करने वाला बिना जल ग्रहण किए पूरे दिन निर्जल व्रत करता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। यह व्रत व्रतधारक को समस्त 24 एकादशियों के समान फल देता है। माना जाता है कि इस दिन किया गया व्रत, ध्यान और पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और पवित्रता आती है।
इस दिन क्या करें? (सर्वश्रेष्ठ उपाय)
- निर्जला एकादशी के दिन पीपल और आंवले के पेड़ में जल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है।
- गरीबों, जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। खासकर जल से भरे मटके, आम आदि का दान करना पुण्यदायक होता है।
- सुहागिन महिलाएं पीपल वृक्ष के चारों ओर सात बार परिक्रमा कर कच्चा सूत बांधें, इससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
- व्रत रखने के साथ ध्यान, प्रार्थना और एकादशी कथा का पाठ करना भी लाभकारी होता है।
क्या न करें? (वर्जित कार्य)
- निर्जला एकादशी के दिन गाय या अन्य किसी पशु को बासी खाना खिलाना अशुभ माना गया है।
- तुलसी के पौधे में जल न चढ़ाएं क्योंकि यह दोष का कारण बन सकता है।
- इस दिन अधीरता, क्रोध, झूठ बोलना, और अनैतिक कार्यों से बचना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
6 जून के दिन विवाह, व्यापार, वाहन की खरीददारी, नए कार्यों की शुरुआत आदि के लिए शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। यदि कोई बड़ा काम करना हो तो राहुकाल और यमगण्ड काल से बचकर शुभ समय का चयन करना चाहिए। स्नान और दान का समय भी विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। 6 जून को सूर्य वृषभ राशि में और चंद्र कन्या राशि में रहेंगे। यह स्थिति स्थिरता, समृद्धि और विवेक की ओर संकेत करती है।
सूर्य का वृषभ राशि में होना कार्यक्षेत्र में सफलता और स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है, जबकि चंद्र कन्या राशि में मानसिक शांति और बुद्धि के विकास को बढ़ावा देता है।
6 जून 2025 का दिन हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। निर्जला एकादशी के पवित्र व्रत का पालन न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव और ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाने में भी मदद करता है। इस दिन दान, पूजा और नियमों का सख्ती से पालन करना अत्यंत शुभ फलदायक रहेगा।