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हिंदू नववर्ष 2025: विशेषताएँ और ज्योतिषीय संकेत, जानें इसका महत्व

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हिंदू नववर्ष का आरंभ विक्रम संवत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। अंग्रेजी कैलेंडर में नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से होती है, लेकिन हिंदू धर्म में नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है। इस बार 30 मार्च 2025 से नव विक्रम संवत्सर 2082 आरंभ होगा। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी। इस नवसंवत्सर 2082 को 'सिद्धार्थ' नामक संवत्सर के रूप में जाना जाएगा।

इस बार क्या होगा खास?

2082 संवत्सर के मंत्रिमंडल में राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य होंगे। यह एक विशेष ज्योतिषीय घटना है। इसके अलावा, अन्न-धन, खनिज और धातु के स्वामी बुध होंगे, जबकि खाद्य पदार्थों के स्वामी मंगल होंगे। सेनापति का कार्यभार शनि संभालेंगे और संवत्सर के वाहन के रूप में घोड़ा होगा।

पौराणिक मान्यताएँ और फल

इस संवत्सर का नाम 'सिद्धार्थ' है। इसका अर्थ है कि वर्ष में प्रजा ज्ञान और वैराग्य से युक्त होगी। सम्पूर्ण पृथ्वी पर प्रसन्नता और जल-अन की वृद्धि होगी। प्रतिकूल जलवायु के बाद भी धान्यादि का श्रेष्ठ उत्पादन होगा।

राजा सूर्य का फल

अल्पवृष्टि, धान्य फल, दुग्ध का उत्पादन कम होगा। जनता में क्रोध, उत्तेजना, कलह और नेत्र विकार बढ़ने की संभावना है। दुधारू पशुओं की क्षमता में भी कमी आएगी।

मंत्री सूर्य का फल

जनता में रोग, चोर और राज का भय होगा। पेयजल, गुड़, दूध, तेल, ईख, फल, सब्जियों की कमी से महंगाई बढ़ेगी। प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक उपद्रव से जनता त्रस्त हो सकती है।

हिंदू नववर्ष 2082 का महत्व

इस वर्ष के राजा और मंत्री दोनों सूर्य होने के कारण राजनेताओं में मनमुटाव बढ़ने की संभावना है। गर्मी का प्रकोप अधिक रहेगा और वर्षा की कमी होगी। अनाज, फलों और सब्जियों की पैदावार कम होने के कारण इनके भाव बढ़ेंगे। चोरी, डकैती, लूटमार जैसी घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।

हिन्दू कैलेंडर 2082 के अनुसार बारह मास

चैत्र
वैशाख
ज्येष्ठ
आषाढ़
श्रावण
भाद्रपद
आश्विन
कार्तिक
मार्गशीर्ष
पौष
माघ
फाल्गुन

हिंदू नववर्ष 2025 यानी विक्रम संवत 2082 का प्रारंभ विशेष ज्योतिषीय संकेत लेकर आ रहा है। राजा और मंत्री दोनों सूर्य होने से राजनैतिक अस्थिरता और प्राकृतिक आपदाओं का संकेत मिलता है। लेकिन साथ ही सिद्धार्थ संवत्सर होने के कारण ज्ञान और वैराग्य का भी संचार होगा।

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