Holi 2025: भारत में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां होली नहीं मनाई जाती; जानें कौन-से हैं ये स्थान और क्यों नहीं मनाते यहां के लोग होली

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होली पूरे देश में रंगों, खुशियों और उत्साह का पर्व माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां यह पर्व नहीं मनाया जाता? इसकी वजहें धार्मिक मान्यताओं, ऐतिहासिक घटनाओं और परंपराओं से जुड़ी हुई हैं। जब देशभर में होली की धूम होगी, तब इन स्थानों पर सन्नाटा पसरा रहेगा। आइए जानते हैं कि आखिर किन कारणों से इन क्षेत्रों में होली नहीं खेली जाती हैं।

उत्तराखंड के खुरजान और क्विली गांव: 150 सालों से कायम परंपरा

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के खुरजान और क्विली गांवों में बीते 150 वर्षों से होली नहीं मनाई जाती। स्थानीय लोगों का मानना है कि उनकी कुल देवी को शोर-शराबा पसंद नहीं है। यह विश्वास किया जाता है कि यदि गांव में होली खेली गई, तो देवी नाराज हो जाएंगी और इससे गांव पर संकट आ सकता है। इसी कारण ग्रामीण इस परंपरा को आज भी निभाते आ रहे हैं।

गुजरात का रामसन गांव: जहां दो सदियों से नहीं जलती होलिका 

गुजरात के रामसन गांव, जिसे रामेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, उसमे बीते 200 वर्षों से होली नहीं मनाई जाती। इसके पीछे दो प्रमुख मान्यताएं हैं:

1. भयानक अग्निकांड - कहा जाता है कि 200 साल पहले होलिका दहन के दौरान भीषण आग लग गई थी, जिससे पूरा गांव जलकर खाक हो गया था। इस भयावह हादसे के बाद से ही लोगों ने होली का पर्व मनाना बंद कर दिया।
2. संतों का श्राप - मान्यता है कि किसी विवाद के चलते संतों ने गांव को श्राप दिया था कि यदि यहां होलिका दहन किया गया, तो पूरा गांव आग में जलकर नष्ट हो जाएगा। इस डर से आज भी ग्रामीण होली नहीं मनाते हैं।

झारखंड के दुर्गापुर गांव: राजा के आदेश से बंद हुई होली

झारखंड के दुर्गापुर गांव में होली बीते 100 वर्षों से नहीं मनाई जाती। इसके पीछे एक दुखद घटना जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि गांव के राजा के पुत्र की मृत्यु होली के दिन हुई थी, और अगले वर्ष उसी दिन राजा भी चल बसे। अपनी अंतिम सांस लेते हुए राजा ने गांववासियों से कहा कि इस गांव में कभी होली नहीं मनाई जानी चाहिए। राजा की इस अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए, ग्रामीणों ने इस परंपरा को बरकरार रखा हैं।

भारत में होली का उल्लास हर ओर दिखता है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां यह पर्व वर्षों से नहीं मनाया जाता। धार्मिक आस्थाएं, ऐतिहासिक घटनाएं और स्थानीय मान्यताएं इस परंपरा को आज भी जीवित रखे हुए हैं। यह जानना दिलचस्प है कि जहां एक ओर होली को प्रेम और सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है, वहीं कुछ स्थानों पर इसकी अनुपस्थिति भी एक अनूठी परंपरा को दर्शाती हैं।

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