हिंदू धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व है। भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है। कालाष्टमी का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रखा जाता है, जिसे मासिक कालाष्टमी कहा जाता है। यह दिन नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं को दूर करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस लेख में जानें
पौष माह की मासिक कालाष्टमी तिथि और समय
· पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 दिसंबर 2024 को दोपहर 2:31 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 23 दिसंबर 2024 को शाम 5:07 बजे होगा। निशिता काल में पूजा के लिए यह दिन बेहद शुभ रहेगा।
· अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 दिसंबर 2024, दोपहर 2:31 बजे
· अष्टमी तिथि समाप्त: 23 दिसंबर 2024, शाम 5:07 बजे
निशिता काल पूजा मुहूर्त
· शुरूआत: रात 12:45 बजे
· समाप्ति: अगले दिन सुबह 1:33 बजे
कालाष्टमी के शुभ योग
· इस बार पौष माह की कालाष्टमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों को बेहद शुभ और कार्यसिद्धि प्रदान करने वाला माना जाता हैं।
· सर्वार्थ सिद्धि योग: 22 दिसंबर सुबह 8:44 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 7:09 बजे तक।
· आयुष्मान योग: पूरे दिन
· त्रिपुष्कर योग: सुबह 7:10 बजे से दोपहर 2:31 बजे तक।
· सौभाग्य योग: दिनभर
· इन योगों के प्रभाव से भक्तों के सभी शुभ कार्य सफल होते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता हैं।
कालाष्टमी की पूजा विधि
· कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा विधि बहुत ही सरल है। भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात्रि के समय पूजा करते हैं।
· सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
· भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और दीपक जलाएं।
· भगवान को काले तिल, काले वस्त्र, पंचमेवा, फल, मिठाई, और लाल फूल अर्पित करें।
· “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
· भैरव बाबा को केले, सेब, लड्डू, हलवा, पान के पत्ते, और सूखे मेवों का भोग लगाएं।
· काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
कालाष्टमी का महत्व
· भगवान भैरव को न्याय और अनुशासन के देवता माना जाता है। उनकी पूजा से
· नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती हैं।
· शत्रु बाधा दूर होती है।
· जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती हैं।
· मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होता हैं।
भैरव बाबा का प्रिय भोग
· भैरव बाबा को अर्पित किए जाने वाले भोग में विशेष सामग्री का उपयोग होता हैं।
· फल: केला, सेब, अंगूर।
· मिठाई: लड्डू, बर्फी, हलवा।
· विशेष सामग्री: काले तिल, नारियल, और सरसों का तेल।
· अन्य सामग्री: पान के पत्ते और सूखे मेवे।
· इन भोगों को चढ़ाने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पौष माह की कालाष्टमी 2024 में 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान काल भैरव की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो इस कालाष्टमी को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान काल भैरव की पूजा करें।