Kalashtami Vrat 2025: समस्याओं से मुक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर, जानें पूजा विधि, उपाय और मुहूर्त

Kalashtami Vrat 2025: समस्याओं से मुक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर, जानें पूजा विधि, उपाय और मुहूर्त
Last Updated: 3 घंटा पहले

Kalashtami Vrat: कालाष्टमी व्रत विशेष रूप से भगवान काल भैरव की पूजा करने का दिन होता है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान काल भैरव, भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं, जो बुरी शक्तियों का नाश करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इस दिन व्रति अपनी समस्याओं और कष्टों से छुटकारा पाने के लिए काल भैरव की पूजा करते हैं।

हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। यह दिन विशेष रूप से भगवान काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है, जो भगवान शंकर के रौद्र रूप माने जाते हैं। कालाष्टमी व्रत को सही ढंग से करने से जीवन की समस्याओं, बाधाओं और ग्रह दोषों से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन विशेष रूप से मनुष्य अपनी समस्याओं के समाधान के लिए पूजा करता है और भगवान काल भैरव से आशीर्वाद प्राप्त करता हैं।

कालाष्टमी व्रत 2025 की तिथि और पूजा का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 2025 में कालाष्टमी व्रत 21 जनवरी को रखा जाएगा। अष्टमी तिथि की शुरुआत 21 जनवरी को 12:39 बजे होगी, जो 22 जनवरी को दोपहर 3:18 बजे तक रहेगी। इस दिन का खास महत्व यह है कि पूजा निशा काल (रात्रि के समय) में की जाती है, जिससे पूजा का महत्व बढ़ जाता है। पूजा का मुहूर्त रात्रि 12:06 से लेकर 12:59 तक रहेगा, इस समय के दौरान भगवान काल भैरव की विशेष पूजा की जाती हैं।

कालाष्टमी व्रत की विधि

•    व्रत के दिन सबसे पहले सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा स्थल को शुद्ध करें और वहां भगवान काल भैरव की पूजा करने का संकल्प लें।
•    काल भैरव को पूजा अर्पित करने के लिए काले वस्त्र, काले तिल, बेलपत्र, धूप, दीप, कपूर, फूल आदि का प्रयोग करें। यह सभी सामग्री पूजा में विशेष महत्व रखती हैं।
•    पूजा के दौरान “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए फायदेमंद होता है। इसके साथ ही भैरव चालीसा का पाठ भी करें।

समस्याओं से मुक्ति के उपाय

•    अगर जीवन में कोई बड़ी समस्या आ रही हो या ग्रह दोष से मुक्ति चाहिए, तो कालाष्टमी व्रत के दौरान कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जो प्रभावी साबित हो सकते हैं।
•    भगवान काल भैरव को सरसों का तेल अर्पित करने से कुंडली के ग्रह दोषों को दूर करने में मदद मिलती है। सरसों के तेल का विशेष प्रभाव होता है और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक होता हैं।
•    काले तिल भगवान काल भैरव को अर्पित करना अत्यधिक लाभकारी होता है। काले तिल नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। साथ ही, यह सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक भी माने जाते हैं।

कालाष्टमी व्रत और उपायों का प्रभाव

कालाष्टमी व्रत और इसके उपायों का पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि भौतिक जीवन में भी शांति और समृद्धि लाता है। इस दिन किए गए उपाय विशेष रूप से मानसिक शांति और समृद्धि के लिए लाभकारी होते हैं। कालभैरव की पूजा से जीवन की अडचनों और समस्याओं का निवारण हो सकता हैं।

कालाष्टमी व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान काल भैरव की पूजा करने से न केवल आपकी समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव भी होता है। अगर आप इस व्रत को सही तरीके से करते हैं तो निश्चित रूप से आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे और भगवान काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

कालाष्टमी व्रत का लाभ

कालाष्टमी व्रत से भगवान काल भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं। यह व्रत मनुष्य को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि प्रदान करता है। अगर आप इस व्रत को सही तरीके से करते हैं, तो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे और समस्याएं समाप्त होंगी।

कालाष्टमी व्रत न केवल भगवान काल भैरव की पूजा का अवसर होता है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और मानसिक शांति का मार्ग भी है। इस दिन किए गए उपाय और पूजा से व्यक्ति की समस्याओं का समाधान होता है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता हैं।

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