Karwa chauth 2024: करवा चौथ का व्रत! नारी के प्रेम और समर्पण का पर्व, जाने महत्व, मुहूर्त और विधि

Karwa chauth 2024: करवा चौथ का व्रत! नारी के प्रेम और समर्पण का पर्व, जाने महत्व, मुहूर्त और विधि
Last Updated: 19 अक्टूबर 2024

करवा चौथ का व्रत भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए बड़े श्रद्धा भाव से किया जाता है। इस पर्व का महत्व सिर्फ एक दिन का व्रत नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के अटूट रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है। इसे मनाने के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

 करवा चौथ का महत्व नश्वरता और अमरता का संबंध मिट्टी का करवा और करवा चौथ का विधि-विधान पति-पत्नी के संबंध को जन्म-जन्मांतरों तक जोड़ता है। यह दर्शाता है कि पति-पत्नी का रिश्ता केवल एक जन्म का नहीं है, बल्कि यह सात जन्मों का बंधन है।पूर्व जन्म के कर्म विवाह बंधन में बंधने वाले दो प्राणियों का संबंध पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार तय होता है। यह बताता है कि पति और पत्नी एक-दूसरे के भाग्य को प्रभावित करते हैं।

शुभ मुहूर्त करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। 2024 में करवा चौथ का व्रत 11 नवंबर (सोमवार) को मनाया जाएगा। इस दिन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

व्रत प्रारंभ का समय सुबह 6:29 बजे से

व्रत समाप्ति का समय रात 8:07 बजे तक

चंद्रमा निकलने का समय रात 7:04 बजे

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

मिट्टी का करवा (या धातु का करवा)

मिठाई

फल

रोटी

लाल या पीला वस्त्र

दीये और अगरबत्ती

चूड़ियां

पान और सुपारी

पूजा की थाली

पूजा विधि

करवे की पूजा पहले करवे को स्नान कराकर उसका पूजन करें।

दीप जलाना दीप जलाकर भगवान की आराधना करें।

कथा सुनना करवा चौथ की कथा सुनें या पढ़ें। इस कथा का महत्व इस व्रत को विशेष बनाता है।

पति का नाम लेकर प्रार्थना पूजा के दौरान पति का नाम लेकर प्रार्थना करें कि उनकी उम्र लंबी हो और उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त हो।

सतीत्व द्वारा पति की रक्षा एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण

सतीत्व, जिसे भारतीय संस्कृति में पत्नी के समर्पण और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, पति की सुरक्षा और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब एक पत्नी अपने पति के प्रति अपने सतीत्व का पालन करती है, तो वह न केवल उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, बल्कि पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना भी करती है। करवा चौथ जैसे पर्व पर, पत्नी अपने पति के लिए व्रत रखकर सतीत्व का प्रदर्शन करती है, जिससे पति का भाग्य और स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इस प्रकार, सतीत्व का पालन करना पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती को दर्शाता है और परिवार में सुख-समृद्धि लाने का एक साधन बनता है।

चंद्र दर्शन करवा चौथ का अनिवार्य पहलू

करवा चौथ का व्रत पूरी तरह से चंद्र दर्शन पर निर्भर करता है, और इसे इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। व्रति दिनभर उपवासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, और चंद्रमा के निकलने के बाद ही व्रत का समापन होता है। चंद्र दर्शन के दौरान महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, जिसका अर्थ है कि वे चंद्रमा को जल चढ़ाकर उसकी पूजा करती हैं। इस प्रक्रिया में वे पति के प्रति अपने समर्पण और प्रेम का भी प्रदर्शन करती हैं। चंद्रमा की रोशनी को पति के जीवन में सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसका दर्शन करना और उसकी पूजा करना अत्यंत आवश्यक होता है। इस प्रकार, चंद्र दर्शन केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि दांपत्य जीवन की मजबूती और पति की सुरक्षा का आश्वासन है।

पहला करवा चौथ संकल्प और प्रेम का प्रतीक

करवा चौथ का व्रत पहली बार मनाने वाली विवाहित महिलाओं के लिए एक खास अवसर होता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना का प्रतीक है।महिलाएं इस दिन के लिए मिट्टी का करवा, मिठाइयाँ और पूजा सामग्री तैयार करती हैं। वे दिनभर उपवासी रहकर अपने पति के प्रति प्रेम और समर्पण दिखाती हैं। चंद्रमा की पूजा और उसके दर्शन के बाद व्रत समाप्त होता है, जो पति की सुरक्षा का प्रतीक है।यह अवसर सास-बहू की परंपराओं को अपनाने और परिवार में प्रेम बढ़ाने का भी है। इस तरह, पहला करवा चौथ नकेवल एक रस्म है, बल्कि दांपत्य जीवन में प्यार और गहराई को मजबूत करता है।

मिट्टी का करवा परंपरा और पवित्रता का प्रतीक

मिट्टी का करवा भारतीय संस्कृति में परंपरा और पवित्रता का प्रतीक है, जिसे विवाहित महिलाएं करवा चौथ जैसे त्योहारों पर अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपयोग करती हैं। प्राकृतिक मिट्टी से बना यह करवा पूजा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और स्थानीय कारीगरों की सृजनात्मकता को दर्शाता है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि महिलाओं के बीच सहयोग और संबंधों को भी मजबूत करता है, जिससे यह भारतीय परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है।

करवा चौथ नारी के प्रेम, बलिदान और समर्पण का प्रतीक है, जो पारिवारिक रिश्तों को और मजबूत बनाता है। इस दिन की पूजा विधि और प्रेम से यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की धरोहर का भी प्रतीक है।

 

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