Lathmar Holi 2025: कब और कैसे मनाई जाएगी बरसाना की लट्ठमार होली? जानिए इस अनोखी परंपरा का इतिहास

🎧 Listen in Audio
0:00

होली का त्योहार देशभर में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीकों से खेला जाता है, लेकिन ब्रज की होली की बात ही अलग होती है। यहां होली की धूम कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है, जिसमें लट्ठमार होली (Lathmar Holi) का विशेष महत्व है। 

बरसाना और नंदगांव में खेली जाने वाली यह अनोखी होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है, जिसे देखने और इसमें शामिल होने के लिए हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। आइए जानते हैं कि लट्ठमार होली 2025 (Lathmar Holi 2025 in Barsana) कब और कैसे मनाई जाएगी, साथ ही इस अनोखी परंपरा के पीछे की पौराणिक कथा।

लट्ठमार होली 2025 की तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष,

• नवमी तिथि की शुरुआत: 7 मार्च 2025 को सुबह 09:18 बजे
• नवमी तिथि का समापन: 8 मार्च 2025 को सुबह 08:16 बजे
• लट्ठमार होली की तिथि: 8 मार्च 2025

कैसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत?

लट्ठमार होली का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से जोड़ा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ राधा रानी से मिलने बरसाना पहुंचे। कृष्ण ने राधा और उनकी सखियों से मजाक किया, जिससे नाराज होकर राधा और उनकी सखियों ने कृष्ण और उनके दोस्तों को लाठियों से दौड़ा दिया।

तभी से यह परंपरा शुरू हुई, जिसमें बरसाना की महिलाएं (सखियां) नंदगांव के पुरुषों (ग्वालों) पर लाठियों से वार करती हैं, और पुरुष ढाल से खुद को बचाते हैं। यह आयोजन प्रेम, हंसी-खुशी और भक्ति से भरा होता है, जिसमें राधा-कृष्ण की लीला का जीवंत रूप देखने को मिलता है।

कैसे मनाई जाती है लट्ठमार होली?

बरसाना में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली एक भव्य आयोजन होता है, जिसमें पूरे ब्रज क्षेत्र से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक हिस्सा लेते हैं। इस उत्सव में कई रोचक परंपराएं निभाई जाती हैं।

बरसाना की महिलाएं लाठियों से करती हैं प्रहार

• इस दिन बरसाना की महिलाएं नंदगांव से आए पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं।
•नंदगांव के पुरुष ढाल का उपयोग करके खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।

गीत-संगीत और पारंपरिक पद गायन

• इस दौरान पूरे माहौल में राधा-कृष्ण के भजन और पारंपरिक लोकगीतों की गूंज रहती है।
• लोग ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते-गाते हैं।

गुलाल और रंगों की होली

• बरसाना और नंदगांव में रंगों की बारिश होती है।
• चारों तरफ अबीर-गुलाल उड़ता है और भक्तजन भगवान कृष्ण के प्रेम में सराबोर हो जाते हैं।

ब्रज की अनोखी होली का आकर्षण

लट्ठमार होली के अलावा मथुरा और वृंदावन में कई अन्य अनोखी होली परंपराएं निभाई जाती हैं, जैसे—

• लड्डू मार होली: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा में लड्डूओं से होली खेली जाती है।
• रंगभरी होली: इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना के बाद रंगों से होली खेली जाती है।

ब्रज की यह अनोखी होली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक मथुरा-वृंदावन आते हैं। लट्ठमार होली सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और परंपरा का अनोखा संगम है। यह श्रीकृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम को दर्शाने वाली लोक परंपरा है, जिसमें प्रेम और उत्साह का सैलाब उमड़ता है।

Leave a comment