Lohri 2025: फसल की कटाई और अग्नि पूजा का पर्व, जानें लोहड़ी का धार्मिक महत्व

Lohri 2025: फसल की कटाई और अग्नि पूजा का पर्व, जानें लोहड़ी का धार्मिक महत्व
Last Updated: 3 घंटा पहले

Lohri: लोहड़ी एक प्रमुख भारतीय त्योहार है, जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह खासतौर पर रबी की फसल की कटाई और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है, और यह खासकर कृषि समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता हैं।

लोहड़ी का पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर यह पर्व पंजाब और हरियाणा के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व मुख्य रूप से रबी की फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है, और इसे अग्नि पूजा का पर्व भी माना जाता है। लोहड़ी के दिन लोग अपने घरों में आग जलाकर अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस बार लोहड़ी का पर्व कब मनाया जाएगा, इसका महत्व क्या है और इसकी पौराणिक कथा क्या है, आइए जानते हैं।

लोहड़ी 2025 लोहड़ी कब मनाई जाएगी?

हर साल लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। इस साल 2025 में लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है, लेकिन अब देश के अन्य हिस्सों में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व बागवानी और कृषि से जुड़ा हुआ होता है, खासतौर पर रबी फसल की कटाई का समय होता है। यह पर्व कृषि समुदाय के लिए एक नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक माना जाता हैं।

लोहड़ी का धार्मिक महत्व

लोहड़ी का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, और यह पर्व विशेष रूप से अग्नि देवता और सूर्य देवता की पूजा से जुड़ा हुआ है। इस दिन लोग आग जलाकर उसे सम्मान देते हैं और उस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। इसके अलावा इस दिन तिल, गुड़, रेवड़ी और गजक जैसी वस्तुएं अग्नि में डाली जाती हैं। इस प्रकार लोग अग्नि के माध्यम से अपने पापों का नाश करने का विश्वास रखते हैं। लोहड़ी के दिन लोग न केवल खुशियां मनाते हैं, बल्कि अपनी खेती के सफल होने के लिए धन्यवाद भी अर्पित करते हैं।

लोहड़ी के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना और फिर दिनभर पुण्य कार्य करना शुभ माना जाता है। खासकर किसान वर्ग के लिए यह दिन विशेष होता है, क्योंकि यह उनके लिए फसल की सफलता का प्रतीक है। इस दिन रबी फसल की कटाई के साथ-साथ घर-घर खुशी का माहौल रहता है और लोग एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं।

लोहड़ी की पौराणिक कथा

लोहड़ी के पर्व से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है, जो आज भी हर घर में सुनाई जाती है। यह कथा एक सिख वीरता से जुड़ी हुई है, और इस दिन के महत्व को स्पष्ट करती है। कथा के अनुसार, मुग़ल साम्राज्य के समय में एक वीर लुटेरा दुल्ला भट्टी हुआ करता था। वह गरीबों की मदद करता था और उनके साथ अच्छा व्यवहार करता था। एक बार दुल्ला भट्टी को पता चला कि कुछ जमींदार दो गरीब बहनों—सुंदरी और मुंदरी को अगवा कर ले गए हैं। उन दोनों बहनों को बचाने के लिए दुल्ला भट्टी ने जमींदारों से उनकी रिहाई करवाई और उन्हें जंगल में सुरक्षित स्थान पर ले जाकर उनकी शादी करवाकर कन्यादान किया। यह घटना लोहड़ी के दिन ही हुई थी, और इसके बाद दुल्ला भट्टी को पंजाब में नायक की उपाधि दी गई।

आज भी लोहड़ी के दिन लोग लोकगीत गाते हैं, जिसमें दुल्ला भट्टी और उसकी वीरता का जिक्र होता है। खासतौर पर बच्चे इस गीत को गाकर लोहड़ी के दिन को और भी खास बना देते हैं।

लोहड़ी के दिन के प्रमुख रिवाज

लोहड़ी का पर्व आमतौर पर एक सामूहिक उत्सव होता है। इस दिन लोग अपने घरों में लोहड़ी जलाते हैं और उसे चारों ओर घुमाते हुए नृत्य करते हैं। इसके अलावा, लोहड़ी के दिन लोग एक-दूसरे को तिल, गुड़, रेवड़ी, और गजक जैसी मिठाइयां और चिजें बांटते हैं। इस दिन लोग पटाखे भी जलाते हैं और रात भर खुशियां मनाते हैं।

साथ ही इस दिन कई जगहों पर पतंगबाजी भी होती है। विशेषकर पंजाब और हरियाणा में यह परंपरा बहुत लोकप्रिय है। लोग इस दिन अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हुए नए साल की शुरुआत करते हैं। इसके साथ ही, इस दिन विशेष पूजा की जाती है और घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं।

लोहड़ी न केवल एक सांस्कृतिक पर्व है, बल्कि यह कृषि समुदाय के लिए खुशी और समृद्धि का प्रतीक भी है। इस दिन लोग अपने कड़ी मेहनत के फल का आनंद लेते हैं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ ही, यह पर्व सामाजिक और पारिवारिक मेलजोल को बढ़ावा देने वाला होता है, जिससे एकता और भाईचारे की भावना भी सुदृढ़ होती हैं।

इस साल, 13 जनवरी को लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा, और यह दिन आपके लिए भी खुशियों और समृद्धि की शुरुआत हो सकता है। तो इस दिन को धूमधाम से मनाएं, और अपने घर और समाज में खुशियों का वातावरण फैलाएं।

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