13 जनवरी 2025 को महाकुंभ का शुभारंभ हुआ, जिसमें पौष पूर्णिमा के पहले स्नान ने संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा दिया। लाखों लोगों ने गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में डुबकी लगाई। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह आयोजन विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है।
मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या के स्नान पर्व
14 जनवरी को मकर संक्रांति का स्नान पर्व होगा, जिसे महाकुंभ का पहला "अमृत स्नान" कहा जा रहा है। इस दिन श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना के साथ संगम में स्नान करेंगे। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का स्नान दूसरा "अमृत स्नान" होगा।
आधुनिक सुरक्षा तकनीकों का उपयोग
• महाकुंभ 2025 की सुरक्षा में प्रशासन ने आधुनिक तकनीकों का भरपूर उपयोग किया हैं।
• AI कैमरे और पानी के नीचे ड्रोन: आयोजन स्थल पर 2,700 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कैमरे लगाए गए हैं, और 113 पानी के नीचे ड्रोन जलमार्गों की निगरानी कर रहे हैं।
• विशेष सुरक्षा बल: 40,000 पुलिसकर्मियों और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को तैनात किया गया हैं।
• वज्र वाहन और ड्रोन निगरानी: पांच वज्र वाहन और 10 ड्रोन 24 घंटे निगरानी में जुटे हैं।
लाखों की भीड़ और श्रद्धालुओं की आस्था
• पौष पूर्णिमा के स्नान पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे।
• 17 लाख श्रद्धालुओं ने किया स्नान: शुरुआती स्नान के दौरान 17 लाख लोगों ने डुबकी लगाई।
• 50 लाख की भारी भीड़: रविवार को संगम तट पर 50 लाख श्रद्धालु पहुंचे।
• कल्पवास की परंपरा: करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के कल्पवास करने का अनुमान है, जो एक माह तक संगम तट पर ध्यान, जप और पूजा में लीन रहेंगे।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं
• महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं।
• आवास और भोजन: कल्पवासियों के लिए टेंट और स्वच्छता सुविधाओं के साथ भोजन की व्यवस्था।
• स्वास्थ्य सेवाएं: 24 घंटे उपलब्ध मेडिकल सहायता।
• यातायात प्रबंधन: यातायात को सुगम बनाने के लिए विशेष ट्रैफिक प्लान लागू।
45 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद
13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस आयोजन में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इस ऐतिहासिक महापर्व को सुचारू रूप से आयोजित करने के लिए प्रशासन ने हर संभव कदम उठाए हैं।
सुरक्षा और दिशा-निर्देश
• प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए कुछ विशेष निर्देश जारी किए हैं
• संगम तट पर स्नान के दौरान नियमों का पालन करें।
• भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में सतर्क रहें।
• निकटतम चिकित्सा केंद्रों की जानकारी रखें।
महाकुंभ परंपरा और आस्था का संगम
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आस्था और परंपरा का प्रतीक है। पौष पूर्णिमा के स्नान से शुरू हुआ यह महापर्व मोक्ष की कामना और कर्मों के प्रायश्चित का अवसर प्रदान करता हैं।
प्रशासन और श्रद्धालु दोनों मिलकर महाकुंभ 2025 को भव्य और सुरक्षित बनाने के लिए प्रयासरत हैं। आने वाले हफ्तों में यह आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के केंद्र में रहेगा, जहां आस्था, परंपरा और तकनीक का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।