नवरात्रि के पहले दिन की पूजा माँ शैलपुत्री की जाती है। माँ शैलपुत्री, जिन्हें हेमा वती और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है, देवी आदिशक्ति के नौ रूपों में से एक हैं। उनका स्वरूप अत्यंत मनोहारी और आनंदमय होता है।
तिथि और दिन
तिथि: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अन्य नाम: हेमा वती और पार्वती
वाहन
माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ (टॉरस) है। इसी कारण से उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। वृषभ का प्रतीक शक्ति, स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक है।
अस्त्र-शस्त्र
माँ शैलपुत्री के दो हाथ होते हैं:
दाहिना हाथ: त्रिशूल धारण करती हैं, जो शक्ति और विनाश का प्रतीक है।
बायाँ हाथ: कमल का फूल धारण करती हैं, जो समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।
भाव-भिव्यक्ति और मुद्रा
माँ शैलपुत्री की मुद्रा सुखद और आनंदित होती है। उनका चेहरा भक्ति और प्रेम से भरा होता है, जो भक्तों को शांति और संतोष प्रदान करता है।
ग्रह
माँ शैलपुत्री का संबंध चंद्रमा से है। यह देवी सभी भाग्य और कुंडली को नियंत्रित करती हैं और चंद्रमा की बुरी स्थितियों के प्रभाव को कम करती हैं। माँ शैलपुत्री का आशीर्वाद पाने से भक्तों को सकारात्मकता और सुख प्राप्त होता है।
रंग
माँ शैलपुत्री का प्रिय रंग लाल है। लाल रंग शक्ति, ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है, जो माँ की दिव्यता को दर्शाता है।
पूजा विधि
माँ शैलपुत्री की पूजा करते समय भक्त उन्हें लाल फूल, फल, और मिठाई अर्पित करते हैं। उनके मंत्र का जाप करने से भक्तों को उनके आशीर्वाद और संरक्षण की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
माँ शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को न केवल भक्ति और शांति मिलती है, बल्कि जीवन के सभी बाधाओं को पार करने की शक्ति भी प्राप्त होती है। उनकी कृपा से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।