Mauni Amavasya 2025: श्रवण नक्षत्र और विशेष योगों में होगी महादेव की कृपा, जानें कैसे मिलेगा पितृ दोष से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि

Mauni Amavasya 2025: श्रवण नक्षत्र और विशेष योगों में होगी महादेव की कृपा, जानें कैसे मिलेगा पितृ दोष से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

Mauni Amavasya 2025: सनातन धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। यह महीना खास तौर पर मां गंगा को समर्पित है और इस दौरान हर दिन गंगा पूजा का आयोजन होता है। माघ माह के अंतर्गत आने वाली मौनी अमावस्या का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन पितरों के तर्पण और पिंडदान से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी, जोकि विशेष शुभ योगों के संयोग में है। आइए जानते हैं इस दिन के महत्व, शुभ मुहूर्त और विशेष योग के बारे में।

मौनी अमावस्या का महत्व और उसकी विशेषता

मौनी अमावस्या एक विशेष अवसर होता है जब लोग अपनी पवित्रता और साधना के लिए मौन रहते हुए गंगा स्नान और अन्य धार्मिक क्रियाओं को करते हैं। इस दिन विशेष रूप से पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि आए। साथ ही, यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भक्तों के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उनका जीवन खुशहाल होता हैं।

मौनी अमावस्या पर बनने वाले शुभ योग

1.    श्रवण नक्षत्र का संयोग

इस बार मौनी अमावस्या पर श्रवण नक्षत्र का खास संयोग बन रहा है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार श्रवण नक्षत्र में स्नान, पूजा और ध्यान से महापुण्य की प्राप्ति होती है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। श्रवण नक्षत्र का संयोग सुबह 08:20 बजे से आरंभ होगा, और यह दिनभर रहेगा।

2.    शिववास योग

मौनी अमावस्या के दिन एक और शुभ योग बन रहा है, जिसे शिववास योग कहा जाता है। इस योग में भगवान शिव अपने माता पार्वती के साथ कैलाश पर विराजमान होते हैं। यह समय दिन के अंत में, शाम 06:05 बजे तक रहेगा। इस समय में महादेव की पूजा से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस समय में किए गए उपायों से बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं।

3.    सिद्धि योग

सिद्धि योग भी मौनी अमावस्या पर विशेष रूप से बन रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अपार सिद्धि प्राप्त होती है। इस दिन रात 09:22 बजे तक सिद्धि योग रहेगा, जिससे जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता हैं।

मौनी अमावस्या पर पूजा विधि और मुहूर्त

मौनी अमावस्या पर पूजन का विधि भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें और पितरों का तर्पण करें। साथ ही भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, सफेद फूल और पंचामृत का प्रयोग करें। इस दिन विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त और विजय मुहूर्त में पूजा का महत्व बढ़ जाता हैं।

•    सूर्योदय: सुबह 07:11 बजे
•    सूर्यास्त: शाम 05:58 बजे
•    ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:25 से 06:18 बजे
•    विजय मुहूर्त: दोपहर 02:22 से 03:05 बजे
•    गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:55 से 06:22 बजे
•    निशिता मुहूर्त: रात 12:08 से 01:01 बजे

पितृ दोष से मुक्ति के उपाय

मौनी अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पिंडदान और तर्पण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन शिव पूजन के साथ साथ विशेष रूप से सफेद फूलों और बेलपत्र का प्रयोग करके भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए। यह उपाय पितरों को प्रसन्न करता है और जीवन में समृद्धि के द्वार खोलता हैं।

मौनी अमावस्या 2025 पर बन रहे विशेष योगों का समग्र प्रभाव जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने वाला होगा। इस दिन गंगा स्नान, पितरों का तर्पण और भगवान शिव की पूजा करने से न केवल पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान भी होता है। इसलिए इस अवसर का भरपूर लाभ उठाएं और महादेव की कृपा प्राप्त करें।

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