Ravi Pradosh Vrat: रवि प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए करें ये खास उपाय, जानिए रवि प्रदोष व्रत का महत्व

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प्रदोष व्रत हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि इस बार रविवार को होने के कारण इसे "रवि प्रदोष व्रत" कहा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती हैं।

यह व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित है और शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि यदि इस दिन ज्योतिष के अनुसार कुछ विशेष उपाय किए जाएं, तो व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता। इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल अर्पित करने के साथ "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता हैं।

कब हैं माघ प्रदोष व्रत?

माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी 2025 को शाम 07:25 मिनट से शुरू होकर 10 फरवरी को शाम 06:57 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार रवि प्रदोष व्रत 9 फरवरी 2025, दिन रविवार को रखा जाएगा। रवि प्रदोष व्रत का यह विशेष योग भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता हैं।

रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि 

* सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
* भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा करें।
* शिवलिंग पर कच्चे दूध, जल और गंगाजल से अभिषेक करें।
* पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप कम से कम 108 बार करें। ऐसा करने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
* पीले चंदन का प्रयोग करके शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं।
* बेलपत्र पर शहद लगाकर उसे दाहिने हाथ से शिवलिंग पर चढ़ाएं।
* मान्यता है कि इस उपाय से भगवान शिव प्रसन्न होकर सुख और समृद्धि का वरदान देते हैं।
* पूजा के दौरान भगवान शिव का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें।
* माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
* ऐसा करने से अविवाहित लोगों के विवाह के योग बनते हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
* प्रदोष काल (संध्या समय) में शिव मंदिर में दीपक जलाएं।
* घर में शिव चालीसा का पाठ करें और शांति व समृद्धि की प्रार्थना करें।

रवि प्रदोष व्रत का महत्व और लाभ 

रवि प्रदोष व्रत धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत भगवान शिव और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा और सूर्य देव की उपासना करना शुभ माना जाता हैं।
* करियर में सफलता: मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और सूर्य देव की उपासना करने से करियर में सफलता और प्रगति के अवसर मिलते हैं।
* रोग और दोष से मुक्ति: शिव पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास रखने और विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को रोगों और नकारात्मक दोषों से मुक्ति मिलती है।
* धन और संपत्ति की प्राप्ति: प्रदोष व्रत करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन-संपदा की प्राप्ति होती है।
* पारिवारिक सुख: भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से परिवार में शांति, प्रेम और समृद्धि बनी रहती है।
* आध्यात्मिक उन्नति: व्रत और पूजा के माध्यम से व्यक्ति की आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है और वह सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है।

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