Laylatul Qadr 2025: रमजान का पवित्र महीना मुसलमानों के लिए इबादत, रोजा, नमाज और तिलावत का सबसे खास समय होता है। इस महीने में एक ऐसी रात आती है जिसे लैलतुल कद्र या "शब-ए-कद्र" कहा जाता है। यह रात इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे हजार महीनों से भी बेहतर बताया गया है।
लैलतुल कद्र: जब आसमान से उतरी कुरान की पहली आयत
लैलतुल कद्र की रात इस्लामिक इतिहास की वह रात है जब पवित्र कुरान की पहली आयत धरती पर नाजिल हुई थी। इस रात को फरिश्ते हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने अल्लाह का पैगाम पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) तक पहुंचाया था। यह वही समय था जब पैगंबर मुहम्मद साहब मक्का के पास स्थित हिरा की गुफा में अल्लाह की इबादत में मशगूल थे।
कब आती है लैलतुल कद्र की रात?
लैलतुल कद्र रमजान के आखिरी अशरे (आखिरी 10 दिन) की ताक रातों में से एक होती है। माना जाता है कि यह 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं या 29वीं रात हो सकती है। हालांकि, अधिकतर इस्लामी विद्वानों का मानना है कि यह 27वीं रात होती है, इसलिए इस रात को विशेष रूप से इबादत करने की परंपरा है।
लैलतुल कद्र की अहमियत
कुरान में कहा गया है कि लैलतुल कद्र की रात हजार महीनों से बेहतर है। इस रात में अल्लाह अपने बंदों के लिए रहमतों के दरवाजे खोल देता है। इस्लामी मान्यता के अनुसार, जो भी इस रात को इबादत करता है और अल्लाह से माफी मांगता है, उसके सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
लैलतुल कद्र की रात क्या करें?
तहज्जुद की नमाज: इस खास रात में तहज्जुद की नमाज अदा करें। यह रातभर जागकर अल्लाह से माफी मांगने का समय है।
कुरान की तिलावत: इस रात कुरान की तिलावत करें और दुआएं मांगें।
खास दुआ: "अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फाउफु अन्नी" - इस दुआ के जरिए अल्लाह से माफी मांगी जाती है।
जकात और सदका: जरूरतमंदों की मदद करना इस रात का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
परिवार के लिए दुआ: अपने परिवार और प्रियजनों की सलामती के लिए दुआ करें।
लैलतुल कद्र: इबादत का बेहतरीन मौका
लैलतुल कद्र की रात इबादत का ऐसा मौका है, जो हर मुसलमान के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रात में अल्लाह की रहमतें बरसती हैं और जो भी दिल से तौबा करता है, उसके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। यही वजह है कि मुसलमान इस रात को जागकर इबादत करते हैं और अल्लाह से रहमत और माफी की दुआ मांगते हैं।