रंगभरी एकादशी हिंदू धर्म में बेहद शुभ मानी जाती है। यह एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आती है और इसे अमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष विधान है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं संग भक्त भी होली के रंगों में रंग जाते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
रंगभरी एकादशी की तिथि और पूजा विधि
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस वर्ष रंगभरी एकादशी 10 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि का प्रारंभ 9 मार्च को रात 8:15 बजे होगा और समापन 10 मार्च को सुबह 8:05 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, व्रत 10 मार्च को रखा जाएगा।
रंगभरी एकादशी का महत्व
देवघर के ज्योतिषाचार्य पं. नंदकिशोर उद्गल के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पर अबीर अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। खासतौर पर काशी में भगवान शिव और माता पार्वती की अबीर-गुलाल से पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार कैलाश पहुंचे, तब शिवगणों ने उनका स्वागत अबीर-गुलाल से किया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है और काशी विश्वनाथ मंदिर में इस दिन विशेष पूजा और होली उत्सव का आयोजन किया जाता है।
रंगभरी एकादशी पर क्या करें?
• भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें आंवला अर्पण करें।
• भगवान शिव और माता पार्वती को अबीर-गुलाल अर्पित करें और भक्तिभाव से उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
• शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ अबीर चढ़ाएं और ओम नमः शिवाय का जाप करें।
• इस दिन व्रत रखकर भगवान का ध्यान करें और भजन-कीर्तन करें।
रंगभरी एकादशी का पुण्य फल
इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से भक्तों को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और समस्त पापों का नाश होता है।