Skanda Sashti 2024: भगवान भोलेनाथ के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है स्कंद षष्ठी, इस दिन करते हैं भगवान कार्तिकेय की आराधना, जानिए इसकी पूजा विधि

Skanda Sashti 2024: भगवान भोलेनाथ के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है स्कंद षष्ठी, इस दिन करते हैं भगवान कार्तिकेय की आराधना, जानिए इसकी पूजा विधि
Last Updated: 10 अगस्त 2024

स्कंद षष्ठी का पर्व दक्षिण भारत में अधिक विख्यात है। इस दिन श्रद्धालु निर्जल उपवास करते हैं और स्कंद देवता (कार्तिकेय) की पूजा-अर्चना करते हैं। बता दें स्कंद देवता मुरुगन और सुब्रह्मण्य भगवान के नाम से भी विख्यात हैं।

धार्मिक न्यूज़: हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान स्कंद (मुरुगन और सुब्रह्मण्य) अर्थात भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए हर महीने श्रदालु व्रत करते हैं. ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी की पूजा से ग्रह दोष और निसंतान दोष से मुक्ति मुलती हैं। भगवान कार्तिकेय की आराधना करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी की पूजा विधिमुरुगन और सुब्रह्मण्य

स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त

धार्मिक पंडित जी ने जानकारी देते हुए बताया कि सावन महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी 10 अगस्त को प्रातः 03 बजकर 13 मिनट पर स्कंद षष्ठी शुरू होगी। जिसका समापन अगले दिन यानी 11 अगस्त को प्रात 05 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि पर 10 अगस्त 2024 (शनिवार) को स्कंद षष्ठी धूम-धाम से मनाई जाएगी। इस दिन भगवान मुरुगन और सुब्रह्मण्य की विधि-विधान से पूजा की जाती हैंमुरुगन और सुब्रह्मण्य

क्या हैं स्कंद षष्ठी का महत्व?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कंद षष्ठी मुख्य रूप से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के प्रिय पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित पर्व है। बता दें भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति भी कहां जाता है। स्कंद षष्ठी का पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत में तमिल हिंदुओं द्वारा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने से जीवन की बड़ी-से-बड़ी बाधा छू-मंतर हो जाती है। साथ ही साधक को सुख-समृद्धि और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।

स्कंद षष्ठी पर्व की पूजा विधि

बताया गया हैं कि स्कंद षष्ठी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्कंद भगवान का ध्यान करना चाहिए और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद पूजा घर में भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके पूजा-अर्चना करें। पूजा के दौरान भगवान कार्तिकेय को पुष्प, चंदन, धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करने के साथ फल और मिठाई का भोग लगाएं। आप भगवान कार्तिकेय को मोर पंख भी अर्पित कर सकते हैं, क्योंकि मोर पंख कार्तिकेय की प्रिय वस्तु है। ऐसा करने से आपको स्कंद देवता (कार्तिकेय) की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

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