पहले यूनेस्को द्वारा घोषित किया गया था और बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया, समावेश को बढ़ावा देने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भाषाओं की भूमिका को रेखांकित करता है । बहुभाषी शिक्षा न केवल समावेशी समाजों को बढ़ावा देती है बल्कि गैर-प्रमुख, अल्पसंख्यक और स्वदेशी भाषाओं को संरक्षित करने में भी सहायता करती है। यह सभी व्यक्तियों के लिए शिक्षा और आजीवन सीखने के अवसरों तक समान पहुँच प्राप्त करने की आधारशिला हैं।
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुरुआत 1999 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा की गई थी। इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में मातृभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए जागरूकता फैलाना है। इसे 21 फरवरी को मनाने का निर्णय लिया गया था, क्योंकि इसी दिन 1952 में बांगलादेश के ढाका शहर में छात्रों ने अपनी मातृभाषा बांग्ला के लिए आंदोलन करते हुए जान दी थी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में शिक्षा और अन्य अधिकार प्राप्त हो, और विविधता में एकता को बढ़ावा दिया जाए।
मातृभाषा: हमारी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर
मातृभाषा वह भाषा होती है जिसे कोई व्यक्ति अपनी जन्मभूमि या घर में बड़े होते हुए सबसे पहले सीखता है। यह वह भाषा होती है जो परिवार, समाज और संस्कृति के भीतर व्यक्ति के शुरुआती संपर्क में होती है। मातृभाषा आमतौर पर किसी व्यक्ति की सबसे स्वाभाविक और सहज भाषा होती है, जिसमें वह सबसे बेहतर संवाद कर सकता है और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता हैं।
मातृभाषा किसी भी समाज की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा होती है और इसका संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि उस समाज की पहचान और संस्कृति बनी रहे। यह एक व्यक्ति की सोच, समझ और पहचान को भी आकार देती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास
दरअसल, 21 फरवरी 1952 के दिन ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। यह विरोध जल्द ही नरसंहार में बदल गया जब तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दीं। इस घटना में 16 लोगों की जान चली गई। 1999 में यूनेस्को ने इस बड़े भाषा आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में पहली बार अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी। यह कहा जा सकता है कि बांग्ला भाषियों के अपनी Mother Language के प्रति प्रेम के कारण ही आज विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है
मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता हैं?
* संस्कार और संस्कृति का संरक्षण: मातृभाषा व्यक्ति को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखती है। यह भाषा हमारे पारंपरिक ज्ञान, साहित्य, गीत-संगीत, और रीति-रिवाजों का माध्यम होती है।
* भावनात्मक जुड़ाव: अपनी मातृभाषा में हम अपनी भावनाओं और विचारों को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। यह हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाती है।
* शिक्षा में सहायता: जब हम अपनी मातृभाषा में पढ़ते-लिखते हैं, तो सीखने की प्रक्रिया सरल और प्रभावी होती है। यह हमारे सोचने और समझने की क्षमता को भी बढ़ाती है।
* भाषाई विविधता का सम्मान: मातृभाषा का संरक्षण और सम्मान हमारी भाषाई विविधता का हिस्सा है, जो समाज में आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।
* वैज्ञानिक और तकनीकी विकास: जब हम अपनी मातृभाषा में नए ज्ञान और जानकारी को व्यक्त करते हैं, तो यह समाज में विकास की दिशा में योगदान करता है। मातृभाषा में वैज्ञानिक और तकनीकी विचारों को व्यक्त करना आवश्यक है, ताकि व्यापक स्तर पर सभी लोग उसे समझ सकें। मातृभाषा को सम्मान देने से समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर भी सुरक्षित रहती है।
मातृभाषा का महत्व और उद्देश्य
* संस्कृति और पहचान का संरक्षण: मातृभाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा होती है। यह भाषा हमारे रीति-रिवाज, परंपराएं, साहित्य, और समाज के मूल्यों को प्रकट करती है। मातृभाषा के माध्यम से हम अपनी पहचान को पहचानते हैं और इसे आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रखते हैं।
* भावनात्मक जुड़ाव और सहजता: मातृभाषा में संवाद करना व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इसमें अपनी भावनाओं, विचारों और इच्छाओं को स्वाभाविक तरीके से व्यक्त करना आसान होता है, जिससे व्यक्ति का आत्म-सम्मान बढ़ता है।
* शिक्षा और मानसिक विकास: मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करना बच्चे के मानसिक विकास के लिए लाभकारी होता है। जब बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा मिलती है, तो वे तेजी से समझ पाते हैं और उनका सीखने का अनुभव अधिक प्रभावी होता है। यह सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाता है और उन्हें अन्य भाषाओं को समझने में भी मदद करता है।
* सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती: मातृभाषा से व्यक्ति का सामाजिक जुड़ाव मजबूत होता है। यह परिवार, समुदाय और समाज के बीच एक सेतु का काम करती है। जब लोग अपनी मातृभाषा में बात करते हैं, तो आपसी समझ और सहयोग बढ़ता है, जो समाज की एकता को मजबूत करता है।
* भाषाई विविधता का सम्मान: मातृभाषा का संरक्षण और सम्मान करने से भाषाई विविधता का संरक्षण होता है, जो दुनिया के विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों को समझने में मदद करता है। यह हमारे समाज की समृद्धता और विविधता को प्रदर्शित करता है।
* वैज्ञानिक और तकनीकी विकास: मातृभाषा में तकनीकी और वैज्ञानिक ज्ञान को व्यक्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब लोग अपनी मातृभाषा में जटिल ज्ञान और तकनीकी विचारों को समझ पाते हैं, तो यह समग्र समाज के विकास में योगदान करता है।
उद्देश्य
मातृभाषा का उद्देश्य न केवल किसी विशेष समुदाय की भाषा को संरक्षित करना है, बल्कि यह सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और मानसिक विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसका उद्देश्य भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए समाज में समानता और विकास की दिशा में योगदान देना है।