Balasaheb Thackeray's Birth Anniversary: बाल ठाकरे, एक समर्पित नेता जिन्होंने मराठी अस्मिता को नई पहचान दी और उसे गर्व से प्रस्तुत किया

Balasaheb Thackeray's Birth Anniversary: बाल ठाकरे, एक समर्पित नेता जिन्होंने मराठी अस्मिता को नई पहचान दी और उसे गर्व से प्रस्तुत किया
Last Updated: 23 जनवरी 2025
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Balasaheb Thackeray's: बाला साहेब ठाकरे की जयंती 23 जनवरी को मनाई जाती है। उनका जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में हुआ था। वे महाराष्ट्र के एक प्रमुख राजनीतिक नेता और शिवसेना के संस्थापक थे। उनकी जयंती पर शिवसेना और उनके समर्थक विशेष आयोजन करते हैं, ताकि उनके योगदान को याद किया जा सके।

महाराष्ट्र के प्रख्यात नेता, शिवसेना के संस्थापक और मराठी अस्मिता के प्रतीक, बाल ठाकरे की पुण्य तिथि 17 नवम्बर को आती है। बाल ठाकरे, जिनका जन्म 23 जनवरी 1926 को हुआ था, एक ऐसे नेता थे जिनका जीवन समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत था। उन्होंने मराठियों के हक के लिए संघर्ष किया और महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी। आज हम बाल ठाकरे के जीवन के उन महत्वपूर्ण पहलुओं को याद कर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय नेता के रूप में स्थापित किया।

कार्टूनिस्ट से शिवसेना प्रमुख तक का सफर

बाल ठाकरे का जीवन एक अद्वितीय यात्रा थी, जो एक कार्टूनिस्ट से एक शक्तिशाली राजनीतिक नेता के रूप में विकसित हुआ। उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के रूप में की थी। बाल ठाकरे का पहला प्रमुख कार्य समाचारपत्र 'फ्री प्रेस जर्नल' में कार्टून बनाना था। इसके बाद उन्होंने १९६० में अपना साप्ताहिक अखबार 'मार्मिक' शुरू किया, जिसमें उन्होंने अपनी कड़ी राजनीतिक विचारधारा और मराठी अस्मिता के मुद्दों को उजागर किया।

मराठी अस्मिता की पहचान

बाल ठाकरे ने 1966 में शिवसेना का गठन किया, जो मुख्यतः मराठियों के अधिकारों और उनके स्वाभिमान के लिए आवाज़ उठाने का एक मंच बन गया। शिवसेना की स्थापना के साथ ही बाल ठाकरे ने एक ऐसी राजनीतिक धारा की शुरुआत की, जो मराठी लोगों के बीच पहचान और संघर्ष के प्रतीक के रूप में उभरी। इसके माध्यम से उन्होंने न केवल मराठियों की सशक्त आवाज़ बनाई, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में भी अपनी पैठ मजबूत की।

राजनीतिक विचारधारा

बाल ठाकरे की राजनीतिक विचारधारा ने हमेशा हिंदूवाद और मराठा हितों को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि महाराष्ट्र में मराठियों को विशेष सम्मान मिलना चाहिए और वे हमेशा मराठियों की स्थिति को मजबूत करने के पक्षधर रहे। उनके नेतृत्व में शिवसेना ने कई ऐतिहासिक आंदोलनों को जन्म दिया और राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ लाया।

उनकी व्यक्तिगत ज़िंदगी

बाल ठाकरे का विवाह मीना ठाकरे से हुआ था और उनसे उनके तीन बेटे हुए - बिन्दुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे। हालांकि उनका व्यक्तिगत जीवन भी कई संघर्षों से भरा हुआ था। 1992 में उनके बड़े बेटे बिन्दुमाधव का निधन हो गया, जो उनके लिए एक गहरी क्षति थी। फिर भी उन्होंने परिवार के कंधों पर जिम्मेदारियों का बोझ उठाया और अपने नेतृत्व में शिवसेना को नए मुकाम तक पहुँचाया।

एक युग का समापन

बाल ठाकरे का स्वास्थ्य 2012 में तेजी से बिगड़ने लगा और 25 जुलाई 2012 को उन्हें मुम्बई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। 14 नवम्बर 2012 को उन्हें अस्पताल से घर लाया गया, जहाँ उन्हें ऑक्सीजन के सहारे जिन्दा रखने का प्रयास किया गया। अंततः 17 नवम्बर 2012 को मुंबई स्थित उनके निवास मातोश्री में उनका निधन हो गया। उनके निधन ने महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे भारत को शोक की लहर में डुबो दिया।

राजकीय सम्मान से अंतिम विदाई

बाल ठाकरे के निधन के बाद, उनके योगदान को सादर याद किया गया। शिवाजी मैदान में उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके अंतिम संस्कार में भारत के कई बड़े नेता और प्रमुख हस्तियाँ मौजूद थीं, जिनमें लालकृष्ण आडवानी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, और शरद पवार सहित कई नामचीन लोग शामिल थे। इस मौके पर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और उद्योगपति अनिल अंबानी भी उनके सम्मान में उपस्थित थे।

फिल्म और बाल ठाकरे की धरोहर

बाल ठाकरे के जीवन और उनके योगदान को याद करते हुए कई फिल्मों का निर्माण हुआ। २०१५ में मराठी फिल्म 'बालकडू' और २०१९ में हिंदी फिल्म 'ठाकरे' उनकी जीवन गाथा पर आधारित थी, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बाल ठाकरे का किरदार निभाया। ये फिल्में उनके जीवन को समर्पित थीं और उनकी विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने का एक प्रयास थीं।

बाल ठाकरे का योगदान और उत्तराधिकार

बाल ठाकरे के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने शिवसेना को एक ताकतवर राजनीतिक दल के रूप में स्थापित किया, जो आज भी महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उनका नेतृत्व और उनके सिद्धांत आज भी उनके समर्थकों और शिवसेना के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने उनके मार्गदर्शन में शिवसेना को नेतृत्व प्रदान किया और पार्टी को नई दिशा दी।

आज, बाल ठाकरे की पुण्य तिथि पर हम उन्हें न केवल एक महान नेता के रूप में याद करते हैं, बल्कि उनकी राजनीतिक विचारधारा और संघर्ष के प्रतीक के रूप में भी उनकी क़द्र करते हैं। उनकी जीवन गाथा महाराष्ट्र के इतिहास में हमेशा एक सुनहरे अध्याय के रूप में जिंदा रहेगी।

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