भारत में नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। यह शरीर की गतियों से कहीं अधिक, भावनाओं और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है। हर ताल, हर थाप, और हर मुद्रा एक नई कहानी बयां करती है। शास्त्रीय नृत्य से लेकर लोक नृत्य तक, भारत की सांस्कृतिक विविधता इस कला में झलकती है।
शास्त्रीय नृत्य: परंपरा और कला का संगम
संस्कृत में 'नृत्य' का अर्थ लयबद्ध गति से किसी भावना को अभिव्यक्त करना है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य केवल कला नहीं, बल्कि अनुशासन, भक्ति और भावनाओं का संयोजन है। कुछ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियां इस प्रकार हैं:
* भरतनाट्यम (तमिलनाडु) – यह भारत का सबसे प्राचीन शास्त्रीय नृत्य है, जिसमें भाव (भावनात्मक अभिव्यक्ति), राग (संगीत) और ताल (लय) का गहन समावेश होता है।
* कथक (उत्तर भारत) – इसमें घुंघरुओं की झंकार, तीव्र गति से घूमने की तकनीक, और कहानियों को नाटकीय शैली में प्रस्तुत करने का विशेष महत्व है।
* कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश) – यह नृत्य नाटकीयता और अभिव्यक्ति पर केंद्रित है, जिसमें अभिनय का भी विशेष योगदान रहता है।
* ओडिसी (ओडिशा) – यह त्रिभंगी मुद्रा और कोमल शारीरिक हाव-भावों के लिए प्रसिद्ध है।
* मणिपुरी (मणिपुर) – इसमें भक्ति भाव और कोमलता प्रमुख होती है, और यह विशेष रूप से भगवान कृष्ण की लीलाओं को प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध है।
* कथकली (केरल) – यह नृत्य भव्य वेशभूषा और चेहरे के भावों के उपयोग के लिए जाना जाता है।
* सत्रिया (असम) – यह असम के वैष्णव संतों द्वारा विकसित एक भक्ति प्रधान नृत्य शैली है।
* लोक नृत्य: भारत की संस्कृति की जीवंत झलक शास्त्रीय नृत्य जहां अनुशासन और परंपरा का प्रतीक हैं, वहीं लोक नृत्य समाज की संस्कृति, रीति-रिवाजों और जीवनशैली का दर्पण हैं। हर क्षेत्र के लोक नृत्य वहां की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करते हैं। कुछ प्रसिद्ध लोक नृत्य इस प्रकार हैं:
* गरबा (गुजरात) – नवरात्रि में किए जाने वाले इस नृत्य में समूह में डांडिया के साथ लयबद्ध नृत्य किया जाता है।
* भांगड़ा (पंजाब) – यह ऊर्जा से भरपूर नृत्य है, जो फसल कटाई के उत्सव से जुड़ा हुआ है और ढोल की धुनों पर किया जाता है।
* यक्षगान (कर्नाटक) – यह एक नृत्य-नाट्य शैली है, जिसमें पौराणिक कथाओं का नाटकीय मंचन किया जाता है।
* लावणी (महाराष्ट्र) – यह तेज़ लयबद्ध संगीत के साथ किया जाने वाला एक पारंपरिक मराठी नृत्य है।
* गिद्धा (पंजाब) – यह महिलाओं द्वारा किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है, जिसमें वे समूह में गीत गाकर नृत्य करती हैं।
नृत्य का बदलते समय के साथ नया रूप
समय के साथ नृत्य की शैलियों में भी बदलाव आया है। पारंपरिक शास्त्रीय और लोक नृत्यों के साथ-साथ अब बॉलीवुड डांस, हिप-हॉप, कंटेम्पररी और फ्यूजन डांस भी लोकप्रिय हो गए हैं। आधुनिक नृत्य रूप, पारंपरिक नृत्य से प्रेरणा लेकर नए प्रयोग कर रहे हैं, जिससे यह कला लगातार विकसित हो रही है।
• नृत्य: तन, मन और आत्मा के लिए वरदान
• नृत्य केवल कला नहीं, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।
• हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है।
• शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है।
• तनाव और चिंता को कम करता है।
• आत्म-अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।